संघ को भाजपा के चश्मे से देखना बड़ी भूल, तुलना से पैदा होती हैं गलतफहमियां- मोहन भागवत

डिजिटल डेस्क- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों पश्चिम बंगाल के चार दिवसीय दौरे पर हैं। उत्तर बंगाल के कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद वे कोलकाता पहुंचे, जहां साइंस सिटी सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया। अपने संबोधन में भागवत ने संघ को लेकर फैली गलत धारणाओं पर खुलकर बात की और कहा कि संघ को समझने के लिए तुलना करने का नजरिया ही सबसे बड़ी बाधा है। भागवत ने कहा कि यदि कोई संघ को केवल एक अन्य सेवा संगठन के रूप में देखता है, तो वह संघ को सही मायनों में समझ ही नहीं सकता।

संघ को भाजपा के नजरिए से समझना बहुत बड़ी गलती- मोहन भागवत

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कई लोग संघ को भाजपा के नजरिए से समझने की कोशिश करते हैं, जो एक बहुत बड़ी गलती है। संघ का अपना स्वतंत्र विचार, कार्यपद्धति और उद्देश्य है, जिसे किसी राजनीतिक दल की सीमा में बांधना उचित नहीं है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संघ का नाम तो लगभग हर कोई जानता है, लेकिन संघ क्या है, क्यों है और क्या कर रहा है—इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। लोग नाम जानते हैं, काम नहीं जानते। उन्होंने कहा कि संघ का कार्य न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर भी अनोखा है। यही कारण है कि आज देश-विदेश से लोग संघ के काम को देखने और समझने आते हैं।

हिंदू समाज के माध्यम से समृद्ध भारत के लक्ष्य पर केंद्रित

भागवत ने अपने भाषण में बताया कि विदेशी प्रतिनिधि संघ के कार्य को देखकर यह प्रश्न जरूर पूछते हैं कि वे अपने देश की नई पीढ़ी के लिए भी ऐसा ही कुछ करना चाहते हैं, तो उन्हें किस तरह का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। यह संघ के कार्य की वैश्विक स्वीकार्यता को दर्शाता है। उनका पूरा संबोधन संघ की 100 वर्षों की यात्रा, ‘व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण’ की अवधारणा और एकजुट हिंदू समाज के माध्यम से समृद्ध भारत के लक्ष्य पर केंद्रित रहा। भागवत ने कहा कि जब व्यक्ति का निर्माण होता है, तभी समाज और राष्ट्र मजबूत बनता है।

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