हाल ही में, पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तिरुपति बालाजी के प्रसाद में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। इस आरोप के बाद पूरे देश में यह मामला गरमा गया है, और उच्च स्तरीय जांच की मांग उठाई जा रही है।
पवन कल्याण ने अपनी पोस्ट में लिखा, “तिरुपति बालाजी प्रसाद में जानवरों की चर्बी, जैसे मछली का तेल, सूअर की चर्बी और गोमांस की चर्बी मिलाए जाने की बात से हम सभी बेहद परेशान हैं। टीटीडी बोर्ड को इस मामले में कई सवालों का जवाब देना होगा। हमारी सरकार सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन यह मामला मंदिरों के अपमान और भूमि संबंधी मुद्दों पर प्रकाश डालता है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह समय है जब पूरे भारत में मंदिरों से जुड़े मुद्दों पर विचार किया जाए। “एक ‘सनातन धर्म रक्षण बोर्ड’ का गठन होना चाहिए, जिसमें नीति निर्माताओं, धार्मिक प्रमुखों, न्यायपालिका और नागरिकों को शामिल किया जाए। हमें मिलकर ‘सनातन धर्म’ के अपमान को रोकने के लिए आगे आना होगा,” पवन कल्याण ने लिखा।
यह मामला न केवल आंध्र प्रदेश, बल्कि पूरे देश में धार्मिक भावनाओं को प्रभावित कर रहा है। अब देखना यह है कि इस मुद्दे पर सरकारी और सामाजिक स्तर पर क्या कदम उठाए जाते हैं।
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