क्यों मनाया जाता है 1 अप्रैल को अप्रैल फूल, जानिए इसके पीछे की मजेदार वजह…

SHIV SHANKAR SAVITA- अप्रैल फूल 1 अप्रैल को मनाया जाने वाला एक अनौपचारिक उत्सव है, जिसे अप्रैल फूल्स डे (April Fools’ Day) कहा जाता है। यह दिन हंसी-मजाक और शरारतों के लिए जाना जाता है, जिसमें लोग एक-दूसरे के साथ हल्के-फुल्के मजाक या झूठ बोलकर मूर्ख बनाते हैं। इसकी शुरुआत के बारे में कई कहानियां हैं, लेकिन सबसे आम मान्यता यह है कि यह 16वीं शताब्दी में फ्रांस से शुरू हुआ, जब नए साल का उत्सव 1 जनवरी को स्थानांतरित हुआ और जो लोग पुरानी तारीख (1 अप्रैल) पर मनाते रहे, उन्हें मूर्ख कहकर चिढ़ाया जाने लगा।

          आज के समय में, यह एक वैश्विक परंपरा बन चुका है, जिसमें लोग दोस्तों, परिवार या सहकर्मियों के साथ मजेदार ढंग से झूठ बोलते हैं और बाद में “अप्रैल फूल!” कहकर इसका खुलासा करते हैं। 

1564 में फ्रांस के राजा चार्ल्स IX ने की थी शुरूआत

अप्रैल फूल की शुरुआत के बारे में कोई निश्चित तारीख या घटना निर्धारित नहीं है, लेकिन इसका सबसे प्रचलित इतिहास 16वीं शताब्दी के फ्रांस से जुड़ा माना जाता है। 1564 में, फ्रांस के राजा चार्ल्स IX ने नए साल की शुरुआत को 1 अप्रैल से बदलकर 1 जनवरी कर दिया, जब उन्होंने ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया। उस समय संचार धीमा था, और कुछ लोग इस बदलाव से अनजान रहे या इसे मानने से इनकार कर दिया। वे 1 अप्रैल को ही नए साल के रूप में मनाते रहे। ऐसे लोगों को “मूर्ख” कहकर मजाक बनाया जाने लगा, और उन्हें झूठी खबरें या बेवकूफ बनाने वाली शरारतें करके चिढ़ाया जाता था। यहीं से “अप्रैल फूल्स डे” की परंपरा शुरू हुई मानी जाती है।
       हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह परंपरा और भी पुरानी हो सकती है, जैसे कि रोमन काल के “हिलेरिया” उत्सव या मध्ययुगीन यूरोप के “फेस्ट ऑफ फूल्स” से प्रेरित। फिर भी, आधुनिक रूप में अप्रैल फूल का सबसे स्पष्ट संदर्भ 16वीं शताब्दी से मिलता है। समय के साथ यह परंपरा यूरोप से दुनिया भर में फैल गई और आज यह एक हल्का-फुल्का, मजेदार दिन बन चुका है।

अप्रैल फूल के कुछ प्रसिद्ध किस्से जिन्हें आज भी याद किया जाता है

बीबीसी का स्पेगेटी पेड़ (1957)

बीबीसी ने एक रिपोर्ट प्रसारित की कि स्विट्जरलैंड में “स्पेगेटी पेड़” उगाए जा रहे हैं, और लोग पेड़ों से स्पेगेटी काटते दिखे। उस समय टीवी पर भरोसा करने वाले सैकड़ों दर्शकों ने इसे सच मान लिया और बीबीसी को फोन करके पूछा कि वे स्पेगेटी का पेड़ कैसे उगा सकते हैं। यह आज तक का सबसे यादगार अप्रैल फूल प्रैंक माना जाता है।

टैको बेल और लिबर्टी बेल (1996)

अमेरिकी फास्ट-फूड चेन टैको बेल ने अखबारों में विज्ञापन छापा कि उन्होंने अमेरिका की ऐतिहासिक “लिबर्टी बेल” को खरीद लिया है और इसका नाम अब “टैको लिबर्टी बेल” होगा। लोग इतने नाराज हुए कि नेशनल पार्क सर्विस को फोन आने लगे। बाद में पता चला कि यह अप्रैल फूल का मजाक था, और कंपनी ने इसे माफी के साथ खत्म किया।

गूगल का “माइक्रोवेव मेल” (2007)

गूगल ने घोषणा की कि वे “जीमेल पेपर” लॉन्च कर रहे हैं, जिसमें आपके ईमेल को प्रिंट करके माइक्रोवेव के जरिए भेजा जाएगा। यह इतना हास्यास्पद था कि लोग तुरंत समझ गए कि यह अप्रैल फूल का प्रैंक है, लेकिन इसकी क्रिएटिविटी ने इसे मशहूर कर दिया।

स्वीडन का रंगीन टीवी (1962)

स्वीडन में एक टीवी चैनल ने दावा किया कि अगर लोग अपने ब्लैक-एंड-व्हाइट टीवी पर नायलॉन का मोजा लगा दें, तो वे रंगीन तस्वीरें देख सकेंगे। हज़ारों लोग इसे आजमाने लगे, और बाद में पता चला कि यह अप्रैल फूल का मजाक था। उस समय रंगीन टीवी नया-नया आया था, तो लोगों का उत्साह समझ में आता है।

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