एप्पल फाउंडर स्टीव जॉब्स का बनाया पहला माउस लाखों में बिका, असल कीमत जानकार हो जाएंगे हैरान

TECHNOLOGY DESK,  आप सभी लोगो की ज़िन्दगी में लैपटॉप, स्मार्टफोन या कंप्यूटर एक बहुत अजोड़ हिस्सा बन चुका है| लेकिन अगर आप से पूछे कि “क्या आपको आपके पहले माउस की कीमत याद है या आपने उसे कितने रूपए में खरीदा था| तो आप में से काफ़ी लोगो को तो याद भी नहीं होगा लेकिन हां ज्यादा से ज्यादा आपने उस पर हज़ार या दो हज़ार रूपए खर्च किये होंगे|”

आज यदि आपको एक अच्छा-सा माउस खरीदना हो तो 200 रुपये से लेकर 700-800 रुपये की रेंज में बहुत ही बढ़िया प्रोडक्ट मिल सकता है| तार वाले माउस तो और भी ज्यादा सस्ते आते हैं| ब्लूटूथ से कनेक्ट होने वाले Dell, HP से लेकर तमाम बड़ी कंपनियों के माउस अधिकतम 1,000 रुपये में मिल सकते हैं| परंतु कौतुहल का विषय है कि “ऐपल के फाउंडर स्टीव जॉब्स को जिस माउस ने इंस्पायर किया था, नीलामी में उसकी कीमत 1,47,000 यूरो लगी है. मतलब 17 लाख से अधिक|”

लेकिन स्टीव जॉब्स के उस माउस की इतनी अधिक कीमत लगने के चलते इंटरनेट पर यह चर्चा का विषय बन गया है| शुरुआती माउस और कोडिंग कीसेट को कंप्यूटिंग की दुनिया के लीजेंड डगलस एंगलबार्ट (Douglas Engelbart) ने बनाया था| एंगलबार्ट कंट्रोलर सिस्टम के सिरमौर थे| पिछले सप्ताह बोस्टन की आरआर ऑक्शन की सेल में यह लॉट अपनी कीमत 12,000 यूरो से लगभग 12 गुना महंगा बिका हैं|

बता दें कि “यह शुरुआती माउस बनाने में एंगलबार्ट ने काफी मेहनत की थी| इस माउस में 3 बटन थे. एंगलबार्ट ने एक्स-एक्सिस और वाई-एक्सिस पर दो मेटल की डिस्क इस्तेमाल की थीं, ताकि कर्सर की पॉजिशन का सही-सही पता चल सके| बाद में आए माउस काफी बदल गए और एक बॉल का इस्तेमाल किया जाने लगा| इन दिनों लाइट का यूज होता है| लाइट के जरिये ही माउस के कर्जर का मूवमेंट होता है|”

कोडिंग कीसेट में 4 कीज़ थीं, जिनकी हेल्प से टाइपिंग और कमांड देने के लिए 31 Key Press कॉम्बिनेशन प्रेस किए जा सकते थे| अर्ली इनपुट डिवाइसेस का ये पेयर बिलकुल वैसा ही था, जैसा कि एंगलबार्ट के 1968 में पेश किए गए ‘मदर ऑफ ऑल डेमोज़’ में पेश किए गए थे|

लाइव डेमो में पूरे कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सिस्टम की जानकारी दी गई. इसमें पहली बार मॉडर्न पर्सनल कंप्यूटिंग के फंडामेंटल्स के बारे में बताया गया था| मदर ऑफ ऑल डेमोज़ काफी प्रभावी साबित हुआ| यह बात और है कि “इसमें दिखाए गए आइडियाज़ को जमीनी हकीकत बनने में एक दशक का समय लग गया| इसी डेमो में कुछ चीजों से प्रभावित होकर स्टीव जॉब्स ने उन्हें अपना लिया था| स्टीव जॉब्स द्वारा अपनाए जाने के बाद भी इतना समय लगा, यदि वे नहीं अपनाते तो शायद और अधिक समय लग सकता था|”

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