डिजिटल डेस्क- एटा जिले के जलेसर थाना में वर्ष 2019 में दर्ज दुष्कर्म के प्रयास और पास्को एक्ट , एससी/एसटी एक्ट के मामले में पीड़िता के पक्ष द्वारा अपर सत्र न्यायाधीश के कोर्ट में प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था, जिसका माननीय न्यायालय ने संज्ञान लिया और कोर्ट में सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी द्वारा मामले में लगाई गई फाइनल रिपोर्ट को निरस्त कर दिया। पीड़िता पक्ष द्वारा विवेचना अधिकारी द्वारा निष्पक्ष तथ्यों पर जांच न किए जाने का आरोप लगाया गया था।मामले में पुनः विवेचना की जा रही थी बावजूद विवेचक द्वारा तथ्यविहीन विवेचना की गई और फाइनल रिपोर्ट न्यायालय को प्रेषित कर दी गई। पीड़िता के पक्ष द्वारा और अधिवक्ता के द्वारा आपत्ति किए जाने के बाद न्यायालय ने मामले का संज्ञान लिया और फाइनल रिपोर्ट को खारिज कर दिया। बताया जा रहा है कि आरोपी की समोसे की दुकान है जांच अधिकारी ने महज 6 समोसे लेकर विवेचना को निराधार तथ्यों पर अंकित कर दिया। मामले में चश्मदीद गवाह का कोई भी बयान अंकित नहीं किया गया। जबकि पीड़िता की मां और पीड़िता द्वारा दर्ज कराए गए बयानों में दुष्कर्म का अपराध प्रतीत था।
आरोपी की है समोसे की दुकान
घटना के समय पीड़िता महज 14 वर्ष की थी स्कूल पढ़ने आई थी। दोपहर को स्कूल से वापस जा रही थी, तभी आरोपी वीरेश ने नाबालिंग को पकड़ लिया और खेतों की ओर ले गया बुरी नियत से गिरा लिया और कपड़े फाड़ दिए, अश्लील हरकतें की। पीड़िता के चीखने-चिल्लाने पर रास्ते से गुजर रहे लोग मौके पर आ गए और पीड़िता को बचाया इसी। इसी बीच आरोपी ने धमकाते हुए जान से मारने की धमकी दी और मौके से फरार हो गया। पीड़िता और उसके परिजन जब थाने पर गए तो उसकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई और ना ही किशोरी का मेडिकल परीक्षण कराया गया। थक हार कर पीड़िता ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से शिकायत की इसके बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। अंतत पीड़ित पक्ष को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।
कोर्ट ने निरस्त की फाइनल रिपोर्ट
कोर्ट के आदेश के बाद संगीन अपराध में आरोपी के विरुद्ध एफ आई आर पंजीकृत की गई , इसके बाद मामले में विवेचना चल रही थी। विवेचक ने जांच के दौरान वर्ष 2019 में ही अंतिम आख्या प्रस्तुत करते हुए घटना को नहीं होना बताया। पीड़ित पक्ष द्वारा अंतिम आख्या के विरुद्ध न्यायालय में अपील की गई, जिसपर न्यायालय ने मामले की सुनवाई की और अंतिम आख्या को निरस्त करते हुए वर्ष 2024 में विवेचना के आदेश कर दिए। मामले में दुष्कर्म का प्रयास, एससी/एसटी एक्ट और पास्को एक्ट के मामले में न्यायालय ने एक माह के अंदर जांच रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश किया। मामले में जांच अधिकारी ने पुनः साक्ष्य संकलित करते हुए जांच रिपोर्ट न्यायालय को दिसंबर 2024 में दाखिल कर दी ।जिसके विरुद्ध पीड़ित पक्ष ने जून 2025 में न्यायालय के समक्ष प्रोटेस्ट पिटीशन प्रार्थना पत्र दाखिल किया था।न्यायाधीश नरेंद्र पाल सिंह राणा की कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए गुण और दोष के आधार पर पीड़िता द्वारा दर्ज कराए गए बयान और गवाहों के बयानों की सुनवाई करते हुए जांच अधिकारी द्वारा पुनः दाखिल की गई चार्ज सीट का अवलोकन करते हुए जांच अधिकारी द्वारा प्रेषित की गई अंतिम आख्या को निरस्त करते हुए परिवाद के रूप में दर्ज किया है।