KASHIF KHAN- जीवन में दोस्त की जरूरत उतनी ही रहती है जितनी कि घर परिवार की, लेकिन ऐसे में यह जरूरी नहीं की दोस्त इंसान ही हो। हम बात कर रहे हैं सहारनपुर जनपद के गांव नराली के रहने वाले 25 वर्षीय अरुण कुमार की। जिनके दोस्त कोई और नहीं बल्कि मोर है जिनको बचपन से ही वह खाना खिलाते आ रहे हैं। अरुण कुमार और इन दो मोर की दोस्ती ऐसी है कि यह दोनों मोर अरुण कुमार के पीछे परछाई बनकर रहते है। यह दोनों मोर खेत में घूमते रहते है साथ ही सुबह दोपहर और शाम का खाना अरुण कुमार के साथ ही खाते है।
अरुण कुमार बताते हैं कि उनके खेत के पास ही एक मोरनी के द्वारा दो अंडे दिए गए थे लेकिन मोरनी दोनों अंडों को छोड़कर चली गई जब उन अंडों से बच्चे निकले तो उनके ठीक सामने अरुण कुमार बैठे थे जिन्होंने उनको खाना खिलाया था तब से वह दोनों मोर अरुण कुमार को ही अपना सब कुछ मानते है। जहां एक और मोर प्रजाति इंसान को देखकर कोसों दूर चली जाती है वहीं यह दोनों मोर इंसान के पास ही रहते है साथ ही कोई नया व्यक्ति अगर खेत पर पहुंच जाता है तो उसके पीछे-पीछे घूमते रहते है। हालांकि अरुण कुमार इन दोनों मोर को पकड़ते नहीं है लेकिन यह अरुण कुमार के हाथों से ही रोजाना खाना खाते है खाना खाने के बाद यह खेतों में घूमने के लिए चले जाते है और शाम होने से पहले फिर अरुण कुमार के पास खेत पर आ जाते है। अरुण कुमार के माता-पिता भी खेत पर काम करने के लिए आते हैं और यह दोनों मोर घर के सभी लोगों के दुलारे है। अगर अरुण कुमार कही चले जाते हैं तो न तो यह दोनों मोर खाना खाते है और न ही अरुण कुमार को उनके बिना भूख लगती है. इंसान और पक्षी के बीच इस प्रेम को देखने के लिए अक्सर लोग उनके पास खेत पर पहुंचते हैं।
अरुण कुमार मोरों से करता है बच्चों की तरह प्यार, दोस्ती देखने आते है लोग
अरुण कुमार ने बात करते हुए बताया कि यह दोनों मोर उनके पास पिछले 6 महीने से लगातार आ रहे है रोजाना सुबह शाम उनके साथ खाना खाते है और फिर घूमने के लिए खेतों में चले जाते है. प्यार ऐसा कि अगर यह खाना खाने के लिए नहीं आते तो हम भी खाना नहीं खाते. साथ ही दोनों मोर उनके खेत में लगी सब्जियों को भी खाते हैं लेकिन उनसे उनकी कोई भी घटी नहीं है. अरुण कुमार बताते हैं कि यह इंसानों से दूर नहीं बल्कि इंसानों के साथ रहना इनको पसंद है. अक्षर खेत पर कोई भी अजनबी आ जाता है तो यह उसके पास चले जाते है. अरुण कुमार के साथ-साथ इन दोनों मोर को घर के सभी सदस्यों से प्यार है और घर के सभी सदस्य भी इन दोनों को बहुत प्यार करते हैं।

अरुण कुमार को इन दोनों मोर के टेस्ट का भी पता है यह दोनों मोर पीले वस्तु नहीं खाते बल्कि उनके लिए स्पेशल मोटी रोटी बनाई जाती है। दोनों मोर खेतों में ही घूमते रहते है और अगर घूमते-घूमते उनको रात हो जाती है तो वह वहीं पर ही ठहर जाते है और सुबह होते ही फिर उनके खेत पर आ जाते है। अरुण कुमार इन दोनों को ना तो खुद पकड़ते हैं और ना ही किसी को पकड़ने देते हैं इन दोनों पक्षियों को अरुण कुमार ने आजाद छोड़ रखा है और इन दोनों मोर को यह पता है कि अरुण कुमार ही उनके माता-पिता है।