KNEWS DESK- नरक चतुर्दशी का त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है| इस बार यह 12 नवंबर को पड़ रहा है| इसी दिन छोटी दिवाली भी मनाई जाती है| चलिए आपको बताते हैं, आखिर क्यों छोटी दिवाली को नरक चौदस के नाम से भी जानते हैं?
सनातन धर्म में नरक चतुर्दशी को बेहद खास माना जाता है| मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन घरों में माता लक्ष्मी का आगमन होता है और दरिद्रता दूर होती है| घरों में सकारात्मकता का संचार होता है| दरअसल, नरक चतुर्दशी मनाए जाने के पीछे एक पौराणिक कथा है|
हिंदू मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था| जिसके बाद नरकासुर के बंदी गृह में कैद 16 हजार महिलाओं को भी भगवान कृष्ण ने आजाद कराया था| महिलाओं की मुक्ति के बाद से ही हर साल छोटी दिवाली के दिन ही नरक चतुर्थी मनाई जाती है|
नरक चौदस के दिन घरों में दीप जलाये जाते हैं| मान्यता के अनुसार, इस दिन यमराज के नाम का दीप जलाया जाता है| कहते हैं, इस दिन यम देव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है और सभी पापों से छुटकारा मिलता है| मान्यता है कि सभी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए शाम के समय यम देव के नाम का दीपक घर के दरवाजे के दोनों तरफ जलाया जाता है| कहा जाता है, इस दिन घर में यमराज के लिए दीपक जलाना और उनकी अराधना करना काफी शुभ होता है|