उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, चुनाव से पहले एडीआर की रिपोर्ट ने देशभर में सियासी बवाल मचा दिया है। एडीआऱ की रिपोर्ट में देश के कुल 107 सांसदों और विधायकों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण देने के आरोप में मामले दर्ज हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के 22 सांसदों पर नफरती भाषण के खिलाफ मामले दर्ज हैं। वहीं, कांग्रेस के दो और आम आदमी पार्टी सहित कई अन्य दलों के एक-एक सांसद के खिलाफ केस दर्ज हैं, जबकि एक निर्दलीय सांसद भी हैं। वहीं सांसदों के बाद विधायकों की बात करें तो एडीआर के मुतबिक, 74 विधायकों ने अपने खिलाफ नफरती भाषण से जुड़े मामलों की घोषणा की है। सबसे ज्यादा भाजपा के 20 विधायकों के खिलाफ केस दर्ज हैं। वहीं, कांग्रेस के 13, आप के छह विधायकों के खिलाफ केस दर्ज हैं। एडीआर की रिपोर्ट में भड़काऊ बयान देने वालों में तीन विधायक उत्तराखंड के भी शामिल है….इसमें गदरपुर से भाजपा विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय, जसपुर से कांग्रेस के विधायक आदेश चौहान और खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार का नाम शामिल है। अच्छी बात ये है कि उत्तराखंड से किसी भी सांसद पर इस श्रेणी का मुकदमा दर्ज नहीं है…वहीं इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद बीजेपी कांग्रेस ने अपने अपने तर्क देने शुरू कर दिए हैं
एडीआर की रिपोर्ट ने देशभर में सियासी बवाल मचा दिया है। एडीआऱ की रिपोर्ट में देश के कुल 107 सांसदों और विधायकों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण देने के आरोप में मामले दर्ज हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के 22 सांसदों पर नफरती भाषण के खिलाफ मामले दर्ज हैं। वहीं, कांग्रेस के दो और आम आदमी पार्टी सहित कई अन्य दलों के एक-एक सांसद के खिलाफ केस दर्ज हैं, जबकि एक निर्दलीय सांसद भी हैं। वहीं सांसदों के बाद विधायकों की बात करें तो एडीआर के मुतबिक, 74 विधायकों ने अपने खिलाफ नफरती भाषण से जुड़े मामलों की घोषणा की है। सबसे ज्यादा भाजपा के 20 विधायकों के खिलाफ केस दर्ज हैं। वहीं, कांग्रेस के 13, आप के छह विधायकों के खिलाफ केस दर्ज हैं। एडीआर की रिपोर्ट में भड़काऊ बयान देने वालों में तीन विधायक उत्तराखंड के भी शामिल है….इसमें गदरपुर से भाजपा विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय, जसपुर से कांग्रेस के विधायक आदेश चौहान और खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार का नाम शामिल है। अच्छी बात ये है कि उत्तराखंड से किसी भी सांसद पर इस श्रेणी का मुकदमा दर्ज नहीं है…
आपको बता दें कि एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म यानि की (एडीआर) ने अपनी ये रिपोर्ट सांसदों और विधायकों के चुनावी शपथ पत्र के आधार पर दी है। एडीआर ने आईपीसी की धारा 153 ए, 153 बी, 295 ए, 298 और 501 में दर्ज मुकमदों के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की है। उत्तराखंड से किसी भी सांसद पर इस श्रेणी का मुकदमा दर्ज नहीं है, हांलाकि राज्य के तीन विधायक जरूर इस श्रेणी में आते हैं। जिसके तहत अरविंद पांडेय पर साल 2012, 2013 जबकि आदेश चौहान पर 2012 में आईपीसी की धारा 153 ए के तहत मुकदमा दर्ज है। दूसरी तरफ एडीआर की लिस्ट में उमेश कुमार का नाम भी शामिल है, हालांकि उन पर धाराओं का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। वहीं इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद बीजेपी कांग्रेस ने अपने अपने तर्क देने शुरू कर दिए हैं
कुल मिलाकर एडीआर की रिपोर्ट ने देश के साथ ही राज्य की राजनीति को गरमा दिया है। सभी दल अपने अपने तर्क देकर पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं तमाम तर्क देने वाली भाजपा ने हाल ही में बसपा सांसद दानिश अली पर टिप्पणी करने वाले भाजपा सांसद रमेश बिधूडी को राजस्थान के टोंक जिले का प्रभारी बनाया है जिसके बाद विपक्षी दल सत्तापक्ष पर हमलावर है…..वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में संसद में अपमानजनक बयान देने पर कहा है कि अपमानजन बयान देना अपराध नहीं है। विधायकों और सांसदों को बोलने की पूरी आजादी है, इसपर कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते हैं