Knews Desk, सनातन परंपरा में, शक्ति की साधना को माना जाता है कि यह सभी दुखों को दूर करके मनोकामनाओं को पूरा कर सकती है। हिंदू धर्म के अनुसार, शक्ति पूजा के लिए नवरात्रि के 9 दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं, जो कि इस साल 15 से 24 अक्टूबर तक हैं। इन 9 दिनों में, देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त जप-तप और व्रत का पालन करते हैं। अगर आप इस साल नवरात्रि का व्रत रखने की सोच रहे हैं, तो आपको इसके सही नियमों को जानना चाहिए ताकि आप पुण्य प्राप्त कर सकें। आइए, नवरात्रि व्रत से जुड़े 9 नियमों को जानते हैं।
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नवरात्रि के 9 दिनों के व्रत में आपको तन और मन को पवित्र बनाने के लिए सबसे पहले प्राथमिकता देनी चाहिए, और प्रतिपदा तिथि के शुभ मुहूर्त में इस व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
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अगर आप 9 दिनों तक व्रत नहीं रख सकते, तो आप अपनी सुविधा के अनुसार नवरात्रि के पहले और आखिरी दिन व्रत करके देवी की पूजा और साधना कर सकते हैं।
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शक्ति की साधना और व्रत का संकल्प लेने के बाद, नवरात्रि के पहले दिन ही उपयुक्त गुरु या साधक के मार्गदर्शन में कलश स्थापना करें और पवित्र मिट्टी में अपने संकल्प का ज्वार दें।
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नवरात्रि के व्रत रखने वाले साधकों को अपने घर के ईशान कोण, पूर्व या फिर उत्तर दिशा में बैठकर देवी की साधना करनी चाहिए। देवी की पूजा करते समय आपका चेहरा हमेशा पूर्व की ओर रहना चाहिए।
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नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा को हमेशा आसन पर बैठकर करना चाहिए। शक्ति की साधना के लिए लाल रंग के ऊनी आसन को शुभ माना जाता है। कभी भी याद रखें कि ज़मीन पर बैठकर देवी दुर्गा की पूजा नहीं करनी चाहिए।
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नवरात्रि के व्रत रखने वाले साधक को व्रत के आखिरी दिन कन्या की पूजा करनी चाहिए। शक्ति की साधना में, 2 साल से लेकर 9 साल तक की कन्या की पूजा को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है।
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नवरात्रि के व्रत करने वालों को तामसिक आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। इसी तरह, देवी साधना के दौरान व्रत के पूरे अवधि में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
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नवरात्रि के दौरान देवी पूजा करने वाले साधकों को यह याद रखना चाहिए कि व्रत के दौरान किसी की निंदा, चुगली, या किसी का अपमान करना बिल्कुल भी उचित नहीं है।
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यदि आप नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी का व्रत रखने का निश्चय किया है, तो इसका मतलब है कि इन 9 दिनों में अपने बाल और नाखूनों को काटने से बचें। नवरात्रि के व्रत रखने वाले साधक को अपनी शक्ति के अनुसार ही व्रत रखना चाहिए और व्रत के दौरान अन्न की बजाय फलाहार का सेवन करना उचित होता है।