संयुक्त राष्ट्र महासभा का सत्र 18 सितंबर से शुरु, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन लेंगे बैठक में भाग ,कई शीर्ष नेता होंगे नदारद

KNEWSDESK- संयुक्त राष्ट्र महासभा का 78 वां सत्र 18 सितंबर से न्यूयॉर्क में शुरु हो गया है यह सत्र एक हफ्ते तक चलेगा इसका मतलब है कि 26 सितंबर को सत्र की समाप्ति होगी  इस सत्र में अफगानिस्तान के हालात और अंतराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होनी हैं । आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य हैं । इसमें अमेरिका , चीन ,फ्रांस, रूस और ब्रिटेन शामिल हैं । बताया जा रहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के अलावा , ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक , फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ,रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ,   उच्च स्तरीय बैठक में मौजूद नहीं हो रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक , संयुक्त राष्ट्र महासभा का सत्र 18 सितंबर से 26 सितंबर तक चलेगा, जिसमें अंतराष्ट्रीय मुद्दों और अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा होगी ।  अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन रविवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क पहुंच गए।  वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ,चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिग ,फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों , ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक उच्च स्तरीय बैठक में नदारत रहेंगे ।  इन देशों के प्रतिनिधि , इसमें  रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव , चीन के उपराष्ट्रपति हान झंग , ब्रिटेन के उप – प्रधानमंत्री ओलिवर डाउडेन और फ्रांस से यूरोप और विदेश मामलों की मंत्री कैथरीन कोलोना संयुक्त ,  शामिल  होंगे ।

  संयुत्त राष्ट्र महासचिव ने जताई नाराजगी

आपको बता दें कि एंटोनियो गुटेरेस ने  शीर्ष नेताओं के गैर मौजूदगी पर बयान दिया कहा कि यहां कोई मेला नहीं चल रहा है । यह एक राजनीतिक निकाय है ,जिसमें सरकारों का प्रतिनिधित्व किया जाता है । यह मायने नहीं रखता कि किसी देश का प्रतिनिधित्व किसके द्वारा किया जा रहा है । गुटेरेस ने आगे कहा कि मुझे चिंता इस बात की है कि जो देश यहां हैॆ , वह सतत विकास लक्ष्य की प्रतिबद्धताओं को मानने के लिए तैयार हो । गुटेरेस ने कहा कि दुर्भाग्य से चीजें सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही हैं  और ये एक हकीकत है । हमें कई अहम चीजों पर प्रतिबद्धता की आवश्यकता है ।

गुटेरेस ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सम्बोधित को करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझना होगा कि हमारे पास एक अन्यायपू्र्ण , निष्क्रिय और पुरानी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली है , जिसे सुधारने की जरूरत है ।

 

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