KNEWS DESK… ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का ASI की टीम सर्वे कर रही है. ASI की 51 सदस्यीय टीम का सर्वे आज यानी को 6 अगस्त को तीसरे दिन भी जारी रहेगा. ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वे के दौरान GPR तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. पहले दिन परिसर में मौजूद तीनों गुंबदों के नीचे और तहखानों के सर्वे की रूपरेखा तैयार की गई. आज की कार्रवाई में तहखाना और गुंबद शामिल किया गया है.
दरअसल आपको बता दें कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे 4 अगस्त को जुमे की नमाज की वजह से सिर्फ 5 घंटे ही हुआ था। सुबह 7 बजे सर्वे शुरू हुआ और 12 बजे बंद कर दिया गया. पहले दिन के सर्वे में ज्यादातर पेपर वर्क ही किया गया। इस दिन टीम ने पूरे परिसर का डिजाइन तैयार किया और दीवारों एवं आसपास के क्षेत्र से साक्ष्य इकट्टा किए। परिसर में मौजूद तीनों गुंबदों के नीचे और तहखानों के सर्वे की रूपरेखा तैयार की गई. हिंदू स्मृति चिन्हों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की गई। सर्वे के पहले दिन मुस्लिम पक्ष शामिल नहीं हुआ था, लेकिन दूसरे दिन के सर्वे में मुस्लिम पक्ष के 5 लोग शामिल हुए थे। 3 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की बेंच ने सर्वे की इजाजत दी थी। मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन मुस्लिम पक्ष को वहां भी झटका लगा और कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। तहखाने के सर्वे को लेकर हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया कि वहां 4 फीट की मूर्ति मिली। मूर्ति पर कुछ कलाकृतियां हैं। मूर्ति के अलावा 2 फीट का त्रिशूल और 5 कलश भी मिलने का दावा किया गया। साथ ही तहखाने की दीवारों पर कमल के निशान मिलने का हिंदू पक्ष ने दावा किया। हिन्दू पक्ष का कहना है कि सर्वे के दूसरे दिन ज्ञानवापी परिसर की पश्चिमी दीवार पर आधी पशु और आधी देवता की मूर्ति दिखी। तहखाने में भी टूटी-फूटी मूर्तियां और खंभे दिखाई दिए।
जानकारी के लिए बता दें कि हिंदू पक्ष की याचिकाकर्ता रेखा पाठक का कहना है कि आज ‘तहखाना’ को खोलकर परीक्षण किया जा सकता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि तहखाने और गुंबद का सर्वे आज किया जाएगा. रेखा पाठक ने बताया कि हम लोग मस्जिद के अंदर नहीं गए हैं. हमारे वकील मौके पर हैं क्योंकि मस्जिद में महिलाओं को इजाजत नहीं है. सर्वे के दौरान नया कुछ भी नहीं सामने आया है. पैमाइश और वीडियोग्राफी हो रही है. अभी तक मिले सबूत की हमें जानकारी नहीं है और न ही हमें बताया गया है.
हिंदू पक्ष की याचिकाकर्ता ने दी जानकारी