KNEWS DESK- इंसान का शरीर जितना जटिल है उतना ही दिलचस्प भी है। हमारे शरीर में हर अंग की अपनी खासियत और अपना काम है। आंख भी हमारे शरीर के सबसे जरूरी काम करने वाले अंगों में से है। इसके जरिए ही हम खूबसूरत दुनिया का दीदार कर पाते हैं. अगर देखा जाए तो हमारी आंख किसी डिजिटल कैमरे जैसी ही है।
हमारी आंख किसी डिजिटल कैमरे जैसी ही है। अगर आंख को कैमरे की क्षमता के हिसाब से देखा जाए तो यह 576 मेगापिक्सल तक का दृश्य हमें दिखाती है यानी कि आंख एक बार में 576 मेगापिक्सल के क्षेत्रफल को देख सकती है। हालांकि ये अलग बात है कि हमारा दिमाग इसे एक साथ प्रोसेस नहीं कर पाता है और दिखने वाले दृश्य का पूरा नहीं बल्कि कुछ हिस्सा ही एकदम साफ और हाई डेफिनेशन में दिखता है। पूरे दृश्य को बेहतर देखने के लिए हमें अपनी आंखों को अलग-अलग फोकस करना पड़ता है।
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इतने मेगापिक्सल की होती है आंखें
आपको ये तो पता होगा कि हमारी आंख में लेंस लगा होता है, ये लेंस किसी कांच का नहीं बल्कि प्राकृतिक होता है। आंख कैमरे की तरह चीजों को कैप्चर कर लेती है. हमारी आंख शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है। अगर इंसान की आंख को डिजिटल कैमरा मान लिजा जाए तो वो 576 मेगापिक्सल तक दृश्य दिखाती है यानी हम कह सकते हैं कि हमारी आंखों में लगा लेंस 576 मेगापिक्सल का होता है।
इस उम्र पर पड़ता है असर
व्यक्ति की उम्र ढलने के साथ ही देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। जरूरी नहीं कि किसी दृश्य को कोई नवयुवक बहुत ही स्पष्ट और साफ देख पा रहा हो उसे कोई बुजुर्ग भी बिल्कुल साफ-साफ देख पाए। शरीर के बाकी हिस्सों की तरह ही उम्र बढ़ने के साथ आंख का रेटिना भी कमजोर होने लगता है। जिसकी वजह से बढ़ती उम्र में लोगों को कम दिखने लगता है।