KNEWS DESK- देश में पिछले कुछ समय से भारी बारिश के चलते लोगों का जन- जीवन अस्त व्यस्त है। कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात भी देखने को मिल रहे हैं। बारिश ने कई राज्यों में जमकर तबाही मचाई है तो वहीं कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां लोग बारिश के लिए तरस रहे हैं। बारिश न होने की वजह से फसलें खराब हो रही हैं।
तेलंगाना, केरल समेत मध्य दक्षिणी और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में तय सीमा से कम बारिश हुई है। ये राज्य कमजोर मानसून से गुजर रहे हैं। जिसका असर फसलों पर भी पड़ रहा है।
फसलों पर पड़ रहा असर
मौसम विभाग की तरफ से बताया गया था कि 1 जून से देशभर के तमाम राज्यों में मानसून की शुरुआत हुई। इसमें बताया गया कि तमिलनाडु को छोड़कर सभी दक्षिणी राज्यों में इस सीजन में उम्मीद से कम बारिश हुई है. यानी यहां पूरी तरह से मानसून नहीं आया है। जिससे किसानों पर भी असर पड़ रहा है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि कमजोर मानसून के चलते तेलंगाना, आंध्र, कर्नाटक और केरल के कुछ हिस्सों में फसलों की बुआई में देरी हो गई है। इतना ही नहीं कर्नाटक और तेलंगाना सरकार ने मानसून के ठीक से नहीं आने पर सूखे की भी आशंका जताई है।
यहां हो रहा बारिश का इंतजार
तेलंगाना राज्य विकास और योजना सोसायटी (टीएसडीपीएस) के बुलेटिन के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि 1 जून से लेकर 11 जुलाई तक होने वाली कुल बारिश 150.4 मिमी थी, जबकि सामान्य बारिश 197.5 मिमी होनी चाहिए. यानी बारिश में 24% की कमी देखी गई है। आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल इस दौरान राज्य में भारी बारिश दर्ज की गई थी। तेलंगाना में पिछले साल जून-जुलाई में 395.6 मिमी बारिश दर्ज की गई। बताया गया है कि राज्य में पिछले साल के मुकाबले 65% कम बारिश हुई है।
यहां सूख रहा बांधों का पानी
दक्षिण के ही राज्य कर्नाटक की बात करें तो यहां भी वही हाल हैं। अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि ज्यादातर बांध कम बारिश के चलते सूखने की कगार पर हैं। कृष्णराजसागर (केआरएस) बांध, जिससे बेंगलुरु और बाकी जगहों के लिए पानी की सप्लाई होती है, वो लगातार सूख रहा है। इसका जलस्तर 30 फीट तक नीचे चला गया है. इसके अलावा हैदराबाद और आसपास के इलाकों में पानी की आपूर्ति करने वाला तुंगभद्रा बांध में भी पानी का स्तर लगातार कम हो रहा है। ऐसे बांधों और नदियों को भरने के लिए पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं हो रही है। अधिकारियों ने बताया है कि अगर ऐसे ही हालात बने रहे तो बिजली उत्पादन और पीने के पानी की समस्या हो सकती है।