बदलेगी बड़े मोहरों की जगह और बदल जाएगी यूपी भाजपा की सांगठनिक शक्ल

एग्जीक्यूटिव एडिटर, केन्यूज़ इंडिया

के न्यूज ब्यूरो,  दिल्ली से शुरू हुई बदलाव की हवा का यूपी तक पहुँचाना अब महज वक्त की बात है. आम चुनावों के पहले भारतीय जनता पार्टी के संगठन से लेकर सरकार तक में कई अहम परिवर्तन होने तय हैं. कुछ दिनों पहले भाजपा ने 4 राज्यों के अध्यक्ष बदले थे और माना जा रहा है कि संसद के मानसून सत्र के पहले मोदी मंत्रिमंडल में भी फेरबदल होना निश्चित है. उत्तर प्रदेश में भी इस बदलाव का असर आना तय है. सियासी हलकों में इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है कि योगी मंत्रिमंडल के कई चेहरे संगठन में नज़र आयेंगे और संगठन और सहयोगी दलों से मंत्रिमंडल के संतुलन को साधा जायेगा. सुभासपा के नेता ओम प्रकाश राजभर भी इन संभावनाओं पर अपनी नज़र गड़ाए हुए हैं.

सियासी पंडित तो इस फेरबदल की जद में कई बड़े नामों को भी शामिल कर रहे हैं. कुछ लोगों का मानना ये भी है कि यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को भी वापस सरकार में भेजा जा सकता है. उनकी जगह एक बार फिर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की ताजपोशी होने पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए. सियासी हवाओं में जिस तरह राष्ट्रीय लोक दल के भाजपा गठबंधन में शामिल होने की चर्चाएँ हो रही हैं,  उससे लगता है कि भूपेंद्र चौधरी की जगह पश्चिम यूपी में जाट वोटों को साधने की योजना जयंत चौधरी के जरिये बनायी जा रही है. सरकार में शामिल दूसरे उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को लेकर भी चर्चा है कि उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में लेकर फिलहाल राज्यसभा में भेजा जायेगा. गौरतलब है कि दोनों उप मुख्यमंत्री योगी सरकार में खुद को सहज नहीं मान रहे थे. यदि ऐसा होता है तो यूपी में अब कोई उप मुख्यमंत्री नहीं बनेगा.

केशव प्रसाद मौर्या भाजपा में पिछड़े वर्ग के सबसे बड़े चेहरे हैं और ब्रजेश पाठक ब्राह्मण जाति के सबसे बड़े चेहरे हैं. भाजपा केशव को आगे कर के विपक्ष के पिछड़े कार्ड को कमजोर करेगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल से यूपी के दो ब्राह्मणों की छुट्टी होने की भी चर्चा है. महेंद्र नाथ पाण्डेय और अजय मिश्र टेनी के मोदी मंत्रिमंडल से बाहर होने की खबर है.ऐसा होता है तो यूपी के सबसे बड़े ब्राह्मण चेहरे ब्रजेश पाठक के जरिये इसकी भरपाई की जा सकती है. योगी मंत्रिमंडल में इसकी भरपाई विजय बहादुर पाठक के जरिये की जा सकती है. पाठक लम्बे समय से संगठन में महत्वपूर्ण दायित्व सम्हालते रहे हैं और फिलहाल विधान परिषद् के सदस्य हैं. इसी तरह पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को भी केंद्रीय संगठन में शामिल किये जाने की चर्चा है. साथ ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा लक्ष्मी कान्त बाजपेयी को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में लिया जा सकता है.

साथ ही योगी मंत्रिमंडल के कुछ ऐसे चेहरे जिन्हें बड़ी उम्मीदों के साथ सामाजिक संतुलन साधने के लिए लाया गया था, उन पर भी गाज गिरनी तय है. कांग्रेस से आये जितिन प्रसाद भी सरकार में निष्प्रभावी रहे हैं , लेकिन यदि अजय मिश्र टेनी की कुर्सी जाती है तो तराई में ब्राहमण चेहरे की वजह से जीतिन प्रसाद की कुर्सी बच सकती है. खतरे में यूपी के ऊर्जा मंत्री अरविन्द शर्मा की कुर्सी भी है. एक तरफ मुख्यमंत्री से छतीस का आंकड़ा और दूसरी तरफ बदहाल बिजली व्यवस्था, ये दो कारण पर्याप्त है कि या तो अरविन्द शर्मा का विभाग बदला जायेगा या फिर उनका कद कम कर दिया जाएगा.

फिलहाल ये चर्चाएँ तो सियासी हलकों में तैर रही हैं , मगर असली शक्ल तो तब सामने आएगी जब पार्टी अपना निर्णय दे देगी.

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