गोरखपुर। जब हौसले हों बुलंद तों कुछ भी असम्भव नहीं है यह कर के दिखाया है खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स रोइंग प्रतियोगिता में असम से आए अन्यतम राजकुमार ने जो सामान्य खिलाड़ीयों के लिए प्रेरणा की कुंज बन रहे हैं रोइंग के इस राजकुमार की दास्तां वाकई प्रेरित करने वाली है अन्यतम स्पेशल चाइल्ड की श्रेणी में होने के बावजूद सामान्य श्रेणी कि दोनों स्पर्धाओं में 2000 मीटर और 500 मीटर में टक्कर दे रहे हैं अन्यतम कुमार दिव्यांगता की मानसिक मंदित श्रेणी में आते हैं मस्तिष्क का सामान्य विकास ना हो पाने के साथ अन्यतम को बोलने में भी परेशानी आती है वर्तमान में वह असम की काटन यूनिवर्सिटी मे बीए के पांचवें सेमेस्टर का छात्र हैं ।
अन्यतम के पिता द्वीपेन ने बताया कि राजकुमार शारीरिक रूप से भी काफी कमजोर थे शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए 6 साल की उम्र में तैराकी सखाने के लिए जब उन्हें पानी में उतारा गया तब उनकी क्षमता परिवार को समझ में आई अन्यतम 1 माह से भी कम समय में तैराकी में परंपरागत हो गए । अन्यतम रोइंग प्रतियोगिता में भाग लेने वाले देश के पहले स्पेशल चाइल्ड हैं, उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है तैराकी के साथ अन्यतम राजकुमार का रुझान रोइंग के क्षेत्र में 2016 से हुआ बौद्धिक रूप से 50% दिव्यांग होने के बावजूद बीते वर्ष ऑस्ट्रेलिया में आयोजित एशिया प्रशांत स्पेशल गेम्स में 500 मीटर सिंगल स्कल रोइंग में गोल्ड मेडल 2000 मीटर सिंगल स्कल और मिक्स्ड डबल मे ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का नाम रोशन कर चुके है।