मेरठ। एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में खूंखार गैंगस्टर अनिल दुजाना मारा गया है। गाजियाबाद के बादलपुर का रहने वाला अनिल दुजाना जनवरी 2021 में ही जमानत पर जेल से बाहर आया था। इसके बाद से ही वह लगातार फरार था। दुजाना पर कई आपराधिक मुकदमे भी दर्ज हैं। दुजाना जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया था। वह अब राजनीति में अपनी किस्मत आजमाना चाह रहा था। इसके लिए दुजाना को चुनाव लड़ना था। दुजाना ने 2016 के पंचायत चुनाव में पहली बार दांव आजमाया था। उस समय दुजाना जेल में था। जेल में रहकर ही दुजाना ने पंचायत का पर्चा भरा। दुजाना की दहशत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव के दौरान उसका विरोधी बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर चुनाव प्रचार करता था।
सूत्र बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान अनिल के विरोधी प्रत्याशी संग्राम के साथ 30 पुलिसकर्मियों की भारी भरकम फौज चलती थी। जेल में रहने के बाद भी दुजाना ने अपने विरोधी प्रत्याशी संग्राम को 10 हजार वोटों से मात देकर चुनाव जीत लिया था। दुजाना गांव की चोरी की घटना से 18 हत्याओं को अंजाम देने वाले अनिल दुजाना ने अपने खौफ से पश्चिमी यूपी में सिक्का जमा लिया था। आम से लेकर खास तक के दिल में दुजाना नाम की दहशत घर कर चुकी थी। जेल में बंद रहने के बाद भी दुजाना की तूती बोलती थी। ऐसे में उसने राजनीति में कदम रखने का फैसला किया। दुजाना ने 2016 में जेल में रहते हुए ही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में वार्ड-2 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा। उसके खिलाफ भी कई महारथी चुनाव की मंशा पाले हुए थे लेकिन दुजना गैंग की दहशत से पीछे हट गए। इन्ही के बीच के संग्राम सिंह ने अचानक अनिल दुजाना के खिलाफ पर्चा दाखिल कर दिया।