रिपोर्ट:विश्व प्रताप सिंह
अलीगढ़:शहर के देहली गेट थाना इलाके के एक दहेज हत्या के मुकदमे में पंचायतनामा भरने वाले लखीमपुर खीरी में तैनात एसडीएम विनीत कुमार उपाध्याय को न्यायालय ने अभिरक्षा में ले लिया, बता दें उनके खिलाफ अदालत ने पिछली तलबी तारीखों पर हाजिर न होने पर कोर्ट 82 की कार्रवाई कर चुका है, डीएम को पत्र लिखकर अवगत कराया था. एसडीएम के कोर्ट में हाजिर ना होने से नाराज न्यायालय ने एसडीएम को अभिरक्षा में ले लिया, इस मामले में एसडीएम विनीत कुमार उपाध्याय को गवाही देने के लिए न्यायालय में हाजिर हुए उसके बाद लिखित अनुरोध पर उनकी गवाही करा कर वापस भेजा गया,
वीओ-दरअसल आपको बता दें, देहलीगेट थाना इलाके में बीते 9 मई 2018 को कविता नाम की एक महिला की गला काटकर हत्या कर दी गई थी, मृतक महिला के परिजनों ने ससुरालीजनों पर दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में तत्कालीन एसीएम प्रथम विनीत कुमार उपाध्याय की ओर से शव का पंचनामा भरा गया. यानी विनीत कुमार गवाह थे. इस मुकदमे का ट्रायल न्यायालय में जारी है.वर्तमान में विनीत कुमार उपाध्याय लखीमपुर खीरी की मितौली तहसील में बतौर एसडीएम के पद पर तैनात हैं. जिनको मुकदमे की पिछली तारीखों पर गवाही के लिए तलब किया गया था, मगर वे नहीं आए. न्यायालय ने उनके खिलाफ 82 की कार्यवाही करते हुए डीएम को पत्र लिखा और तारीख नियत कर दी. शासकीय अधिवक्ता कृष्ण मुरारी जौहरी के अनुसार एसडीएम विनीत कुमार उपाध्याय एडीजे-5 की अदालत में हाजिर हुए मगर उन्होंने गवाही देने से इनकार किया, उनके खिलाफ कुर्की नोटिस जारी था इसलिए न्यायालय ने उन्हें अभिरक्षा में ले लिया, बाद में लिखित में गवाही देने हुए अनुरोध करने पर न्यायालय ने उन्हें अभिरक्षा से बाहर किया और वह वापस गए.
शासकीय अधिवक्ता कृष्ण मुरारी जौहरी ने बताया कल एक बहस थी थाना दिल्ली गेट क्षेत्र का एक दहेज हत्या का मामला था, उसमें विनीत कुमार उपाध्याय इस समय जो एसडीएम है लखीमपुर खीरी में उनको आना था, उनके द्वारा पंचनामा भरा गया था उस समय एसीएम थे यहां पर उनकी एविडेंस होनी थी, पूर्व में उनको सम्मन नोटिस और 82 की कार्यवाही तक हो गई उसके बाद गवाही देने नहीं आ रहे थे. आ भी गए तो आने के बाद में थोड़ा सा वो अग्रेसिव मूड में थे बोले आप के खिलाफ भी में कार्यवाही करूंगा आईओ के खिलाफ भी कार्यवाही करूंगा हम लोगों से कह रहे थे गलत मुझको गवाह बनाया है, गलत बुलाया है. जब हमने न्यायधीश महोदय के सामने फाइल रखी और प्रकरण समझाया कि यह गवाह है इनकी गवाही होनी हैं, जज साहब ने भी समझाया कि आपके एविडेंस है सारे प्रपत्र आपके द्वारा भरे गए हैं पंचनामा के, आप उस में गवाही दीजिए, बोले मेरी कोई गवाही की जरूरत नहीं है और बहस करने लग गए, इस बात को सुनकर जज साहब भी गुस्से में आ गए लास्ट में उनको कस्टडी में लेना पड़ा और लगभग 10 मिनट कस्टडी में रहे उसके बाद अधिवक्ताओं ने काफी समझाया उसके बाद में मुश्किल से उनके बयान कराए गए.