knews desk : चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. मां की पूजा-अर्चना से हर तरह के दुखों का नाश हो जाता है. आइए विस्तार से जानते हैं चौथे दिन की पूजाविधि और भोग की रेसिपी..
चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कल यानि 25 मार्च 2023, शनिवार के दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस विशेष दिन पर मां भगवती के चौथे प्रमुख स्वरूप देवी कुष्मांडा की उपासना का विधान है। मां कुष्मांडा तेज की देवी हैं और मान्यता है कि इनकी आराधना करने से यश, बल और बुद्धि में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र।
पूजा-मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 मार्च को दोपहर 03 बजकर 29 मिनट पर शुरू हो रहा है और इसका समापन 25 मार्च दोपहर 02 बजकर 53 मिनट पर होगा। इस दिन अति शुभ योग अर्थात रवि योग का निर्माण हो रहा है। चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन रवि योग सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 11 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस अवधि में मां कुष्मांडा की उपासना करने से पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है।
मां कूष्मांडा की पूजा-विधि
- मां कूष्मांडा की पूजा करते समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें.
- पूजा के दौरान देवी को पीला चंदन लगाएं. कुमकुम, मौली और अक्षत चढ़ाएं.
- एक पान के पत्ते में सर लेकर ओम बृं बृहस्पते नमः मंत्र बोलते हुए मां को अर्पित करें.
- अब ॐ कूष्माण्डायै नम: मंत्र का जाप करें.
- पूजा करने के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
मां कूष्मांडा की भोग रेसिपी
मां कुष्मांडा को मालपुए खास पसंद हैं. इस दिन पूजा के बाद माता को मालपुए का भोग लगाएं. ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और बुद्धि, यश बढ़ाती हैं. इससे आपके फैसले लेने की क्षमता भी बढ़ती है. हर तरह की बीमारियां दूर हो जाती हैं. मां को मालपुए का भोग लगाने के बाद खुद भी प्रसाद ग्रहण करें और दूसरों में बांटे.
मालपुआ बनाने का आसान रेसिपी
1. सबसे पहले गेहूं के आटे को छानकर एक बड़े बर्तन में निकालें.
2. अब एक कटोरे में चीनी और दूध लेकर चम्मच की मदद से तब तक चलाएं, जब तक चीनी दूध में अच्छी तरह से घुल न जाए.
3. अब आटे को इस घोल में डालते जाए और अच्छी तरह मिलाते रहे.
4. ध्यान रखें कि एक बार में आटे को नहीं डालना है. इसे धीरे-धीरे डालें ताकि गुठलियां न पड़ें.
5. अब घोल को अच्छी तरह मिलाकर इसे चिकना होने दें.
6. इसके बाद कढ़ाई में घी डालकर गरम करें और कलछी से इस घोल को कढ़ाई में डालते जाएं.
7. अलट-पलट कर इसे दोनों तरफ से अच्छी तरह सेंक लें.
8. अब मालपुआ तैयार है, इसे भोग लगाएं और प्रसाद के तौर पर दूसरों में बांटे.