देहरादून। पृथक राज्य उत्तराखंड बनने के बाद अनेक मांगों पर चर्चा हुई उनमे से कुछ पुरी हुई तो कुछ मुद्दो पर आज तक भी चर्चा होती है।
राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण सदैव से ही एक बडा मुद्दा रहा है। जिसको लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने वर्ष 2004 में राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का शासनादेश जारी किया था।
आपको बताए 10 फरवरी को राजधानी देहरादून में प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक होने जा रही है। बैठक में इस बार राज्य आन्दोलनकारियों के साथ ही उनके परिजनों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का प्रस्ताव पास हो सकता है। सूत्रों के अनुसार धामी सरकार इस मामले में अध्यादेश ला सकती है।
इस मामले में सरकार ने कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उपसमिति गठित की गई है। जिसकी कल यानी बृहस्पतिवार को विधानसभा में बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में आरक्षण से संबंधित सभी बिंदुओं को एक सिरे से जांच और परख लिया है।
वही सूत्रों के अनुसार उपसमिति ने 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर मुहर लगा दी है। और इसी के साथ राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलने की संभावनाएं और प्रबल हो गई है।
आरक्षण के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने वर्ष 2004 में राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए शासनादेश जारी किया था।
और इस आदेश का लाभ सैकड़ों राज्य आन्दोलनकारियों और उनके परिजनों ने उठाया था। लेकिन त्रिवेंद्र रावत सरकार ने हाई कोर्ट के इस शासनादेश को रद्द कर दिया था। वर्ष 2022 में धामी सरकार ने इस मामले में एक विधेयक पारित करके राज्यपाल को भेजा लेकिन राजभवन ने आपत्ति जताते हुए विधेयक को वापस लौटा दिया था।
जिसका कारण बताते हुए राज्यपाल ने कहा था। कि ये आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है। तो वही धामी सरकार इस मामले में कैबिनेट में बड़ा फैसला ले सकती है।