11 तारीख गुरुवार को पूर्णिमा तिथि प्रातः 09:35 से लगेगी, और उसी समय से भद्रा भी शुरू हो रही है जो रात्रि में 8:53 तक रहेगी और दुसरे दिन यानी 12/8/2022 को प्रातः 7:16 तक पूर्णिमा रहेगी। अतः भद्रा के अंदर में ना ही तो कोई मांगलिक कार्यक्रम होते हैं ना ही रक्षाबंधन का ना ही तो सुन जिमाने का कार्यक्रम हो सकता है।
इसलिए दूसरे दिन 12 तारीख शुक्रवार को ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाना श्रेष्ठ रहेगा।
यदि कोई व्यक्ति रक्षाबंधन – सुण जिमाने का काम 11 तारीख रात्रि काल को करता है तो कर सकता है। लेकिन रात 8:53 के पश्चात।
उदया तिथि पूर्णिमा 12 अगस्त शुक्रवार को प्रातः 7:15 बजे तक ही है अतः
12 अगस्त शुक्रवार को 7:30 बजे तक रक्षाबंधन और अपने घर का सगुण करके उदया तिथि के हिसाब से दिन भर रक्षाबंधन का कार्य चलता रहेगा।
शास्त्रों में यही कहा गया है कि जो उदया तिथि है उसी का मान दिन भर रहेगा। अतः मांगलिक कार्य पूरे दिन मानाया जाएगा।
इसलिए रक्षाबंधन का त्यौहार एवं श्रावणी कर्म आप लोग 12 तारीख शुक्रवार को ही मनाएं पूरा दिन शुद्ध रहेगा।
भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी?
रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष के अंदर उसका विनाश हो गया था। भद्रा शनिदेव की बहन थी।भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा।