शिव शंकर सविता- देश के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों में शुमार आईआईटी कानपुर के लिए यह पल ऐतिहासिक बन गया है। संस्थान के वर्ष 2000 बैच के छात्र-छात्राओं ने आईआईटी कानपुर को 100 करोड़ रुपये का सामूहिक योगदान देने का ऐलान किया है। यह राशि देश के किसी भी शैक्षणिक संस्थान को भूतपूर्व छात्रों की ओर से दिया गया अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक दान माना जा रहा है। इस योगदान से आईआईटी कानपुर कैंपस में ‘मिलेनियम स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी एंड सोसाइटी’ की स्थापना की जाएगी। इस प्रस्तावित स्कूल का उद्देश्य तकनीकी शिक्षा, अत्याधुनिक शोध और समाज से जुड़े नवाचारों को एक नई दिशा देना है। यहां पढ़ाई केवल तकनीक तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि टेक्नोलॉजी के सामाजिक प्रभाव, नीति निर्माण, सतत विकास और मानव केंद्रित समाधानों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। संस्थान का मानना है कि यह पहल भविष्य की चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका निभाएगी।
2000 बैच के छात्रों के सिल्वर जुबली समारोह के दौरान की गई घोषणा
इस ऐलान की घोषणा वर्ष 2000 बैच के सिल्वर जुबली मिलन समारोह के दौरान की गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में पूर्व छात्र कैंपस पहुंचे और अपने संस्थान से जुड़े अनुभव साझा किए। दानदाताओं में शामिल इनमोबी के संस्थापक नवीन तिवारी ने कहा कि आईआईटी कानपुर ने उन्हें केवल एक डिग्री ही नहीं दी, बल्कि बड़े सपने देखने, सवाल पूछने और उद्देश्य के साथ काम करने की सोच दी। उन्होंने कहा कि यह योगदान उसी कृतज्ञता का प्रतीक है और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर अवसर तैयार करने का प्रयास है।
क्या बोले संस्थान के निदेशक ?
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने 100 करोड़ के इस योगदान को संस्थान और भूतपूर्व छात्रों के बीच मजबूत, भरोसेमंद और जीवंत रिश्ते का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे सहयोग से शिक्षा और शोध व्यवस्था को नई मजबूती मिलती है और संस्थान वैश्विक स्तर पर और प्रभावशाली बनता है। वहीं, डीन (रिसोर्स एंड एलुमनाई) प्रो. अमेय करकरे ने कहा कि यह पहल साझेदारी और सामूहिक जिम्मेदारी की भावना का बेहतरीन उदाहरण है। भूतपूर्व छात्रों की सक्रिय भागीदारी न केवल संस्थान को सशक्त बनाती है, बल्कि समाज में भी दूरगामी और सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखती है।