शिव शंकर सविता- कानपुर की भीड़-भाड़ वाली गलियों, टेंपो की आवाज़ और गंगा के किनारे बिताए गए दिन…यही श्रवण कुमार विश्वकर्मा की शुरुआत थी। आज यही कानपुर का लड़का देश की पहली निजी एयरलाइन ‘शंख एयरलाइंस’ के जरिए हवाई सफर की दुनिया में कदम रखने जा रहा है। 24 दिसंबर, 2025 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने श्रवण की शंख एयरलाइंस समेत दो और एयरलाइंस को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी किया। यह कहानी सिर्फ बिजनेस की नहीं, बल्कि संघर्ष, मेहनत और असाधारण जज़्बे की है।
मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे श्रवण कुमार
श्रवण का जन्म कानपुर के मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था और जल्दी ही उन्होंने स्कूल छोड़ दिया। लेकिन उनके सपने कभी छोटे नहीं रहे। उन्होंने सबसे पहले सरिया (TMT) के व्यापार में कदम रखा। धीरे-धीरे सीमेंट, माइनिंग और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में हाथ आजमाया और ट्रकों का बड़ा बेड़ा खड़ा किया। टेंपो चलाना, बस-ट्रेन की सवारी और रोजमर्रा की जिंदगी के संघर्षों ने उन्हें न केवल जीवन की कठोर हकीकत सिखाई, बल्कि आम आदमी की जरूरतों को समझने का अनुभव भी दिया। श्रवण कहते हैं, “नीचे से ऊपर उठने वाला इंसान हर परेशानी समझ सकता है, यही सोच मुझे एविएशन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।”
शंख एयरलाइंस का सपना, एक ही किराया रखने का ख्वाब
तीन से चार साल पहले श्रवण ने महसूस किया कि मध्यम वर्ग के लिए भरोसेमंद और सस्ती एयरलाइन की बहुत कमी है। वहीं से जन्मा शंख एयरलाइंस का आइडिया। ‘शंख’ भारतीय संस्कृति में शुभता और नई शुरुआत का प्रतीक है। श्रवण का कहना है, “हम ऐसा करना चाहते हैं जो सबके पास हो, लेकिन अलग पहचान बनाए।” उनका फोकस पारदर्शिता और भरोसेमंद सेवा पर है। कोई डायनामिक प्राइसिंग नहीं होगी—सबेरे और शाम का किराया समान रहेगा।
कठिनाइयों का सामना और उड़ान की योजना
एविएशन इंडस्ट्री आसान नहीं है। इंडिगो और एयर इंडिया जैसी बड़ी एयरलाइंस के बीच अपनी जगह बनाना चुनौती है। शुरुआत में शंख एयरलाइंस Airbus A320 विमान से उड़ान भरेगी। फिलहाल तीन विमान तैयार हैं। लक्ष्य है 2025 तक 10+ विमान, 2026–27 तक 15–25 विमान और फिर अंतरराष्ट्रीय उड़ानें। शंख एयरलाइंस का हेड ऑफिस लखनऊ में होगा। पहली उड़ान उत्तर प्रदेश से ही—लखनऊ या जेवर एयरपोर्ट से। कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर और प्रयागराज को दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और चेन्नई से जोड़ने का प्लान है।
संघर्ष से सफलता तक
श्रवण कुमार का सफर सिर्फ कारोबार की कहानी नहीं, बल्कि मेहनत, हौसले और आत्मविश्वास की मिसाल है। कानपुर की गलियों से उठकर एयरलाइंस शुरू करने तक का यह सफर आम आदमी के लिए प्रेरणा है कि अगर जुनून, मेहनत और दृढ़ निश्चय हो, तो कोई भी सपना हकीकत बन सकता है। आज देश की निगाहें श्रवण कुमार और उनकी शंख एयरलाइंस की पहली उड़ान पर टिकी हैं—कानपुर का यह लड़का साबित कर रहा है कि कठिनाइयों के बावजूद सपने पूरे किए जा सकते हैं।