आवारा कुत्तों की गिनती पर मचा बवाल: दिल्ली सरकार ने खबरों को बताया भ्रामक, शिक्षकों को नहीं सौंपा गया जिम्मा

डिजिटल डेस्क- दिल्ली में आवारा कुत्तों की गिनती के लिए शिक्षकों की तैनाती की खबरों के बाद मचे हंगामे पर अब दिल्ली सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने इन खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि न तो ऐसा कोई आदेश जारी किया गया है और न ही शिक्षकों को आवारा कुत्तों की गिनती का कोई जिम्मा सौंपा गया है। सरकार का कहना है कि इस मामले को गलत तरीके से पेश किया गया, जिससे अनावश्यक भ्रम और विवाद की स्थिति बनी। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के संदर्भ में जारी एक सर्कुलर से जुड़ा है। इस सर्कुलर का उद्देश्य केवल छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। हाल के दिनों में राजधानी के कई इलाकों में आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं को देखते हुए शिक्षा निदेशालय ने स्कूल परिसरों को सुरक्षित रखने पर जोर दिया था। सर्कुलर में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि स्कूल परिसर के भीतर किसी भी हालत में आवारा कुत्तों की मौजूदगी न हो, ताकि छात्रों को किसी तरह का खतरा न पहुंचे।

शिक्षकों को नहीं लगाया गया है किसी प्रशासनिक कार्यों में- सीएम रेखा गुप्ता

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षकों को गिनती जैसे किसी प्रशासनिक कार्य में नहीं लगाया गया है। दरअसल, स्कूलों को निर्देश दिया गया था कि वे अपने यहां शिक्षकों में से एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें। इस नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी केवल इतनी थी कि वह स्कूल परिसर की सुरक्षा पर नजर रखे और यदि कहीं आवारा कुत्तों की समस्या दिखे तो संबंधित विभाग जैसे नगर निगम या पशु नियंत्रण विभाग से समन्वय कर समस्या का समाधान करवाए। लेकिन इस निर्देश को कुछ जगहों पर तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया, जिससे ऐसा प्रतीत हुआ मानो शिक्षकों को आवारा कुत्तों की गिनती का काम सौंप दिया गया हो।

शिक्षक संगठनों ने जताई थी नाराजगी

वहीं, इस मुद्दे पर शिक्षक संगठनों ने भी नाराजगी जाहिर की है। शिक्षक संघों का कहना है कि शिक्षक का मूल कार्य पढ़ाना और छात्रों को बेहतर शिक्षा देना है, न कि ऐसे गैर-शैक्षणिक कार्यों में उलझाना। संघों का आरोप है कि प्रारंभिक खबरों में यह दिखाया गया कि शिक्षकों को स्कूल परिसर और आसपास घूम रहे लावारिस कुत्तों की गिनती करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे शिक्षकों के सम्मान और भूमिका पर सवाल खड़े हुए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *