अरावली मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा कदम, खनन पर सरकार से मांगी साफ जानकारी, अब 21 जनवरी को होगी सुनवाई

KNEWS DESK- अरावली पर्वतमाला से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम हस्तक्षेप करते हुए अपने ही पूर्व निष्कर्षों और विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को फिलहाल स्थगित कर दिया है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि अगले आदेश तक इन निष्कर्षों को लागू नहीं किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और उस पर आधारित अदालत के निष्कर्षों पर रोक रहेगी। साथ ही अदालत ने यह भी तय किया है कि अब इस मामले में डोमेन विशेषज्ञों का एक नया स्वतंत्र पैनल गठित किया जाएगा, जो पूरे मुद्दे पर निष्पक्ष तरीके से विचार करेगा।

शीर्ष अदालत ने विशेषज्ञ समिति के निष्कर्षों पर स्पष्टीकरण मांगते हुए केंद्र सरकार और अरावली क्षेत्र से जुड़े चार राज्यों—दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात—को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने कहा कि समिति की सिफारिशें और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निष्कर्ष तब तक स्थगित रहेंगे, जब तक इस मामले की अगली सुनवाई नहीं हो जाती। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को निर्धारित की गई है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि रिपोर्ट या अदालत के फैसले को लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और स्वतंत्र प्रक्रिया जरूरी है, ताकि इसके दूरगामी प्रभावों का गहराई से आकलन किया जा सके। अदालत ने खास तौर पर कुछ अहम सवालों पर विचार किए जाने की आवश्यकता जताई है।

इनमें शामिल हैं—

  1. क्या अरावली की परिभाषा को 500 मीटर के क्षेत्र तक सीमित करने से एक संरचनात्मक विरोधाभास पैदा होता है, जिससे संरक्षण क्षेत्र और छोटा हो जाता है?
  2. क्या इस परिभाषा के कारण गैर-अरावली क्षेत्रों का दायरा बढ़ गया है, जहां रेगुलेटेड माइनिंग की अनुमति दी जा सकती है?
  3. क्या 100 मीटर या उससे अधिक दूरी पर स्थित दो क्षेत्रों के बीच के गैप में रेगुलेटेड माइनिंग की इजाजत दी जाएगी, और ऐसे मामलों में 700 मीटर के अंतराल का क्या प्रभाव होगा?

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अरावली क्षेत्र के संरक्षण और खनन गतिविधियों से जुड़े नियमों पर दूरगामी असर डाल सकता है। नए विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि भविष्य में अरावली क्षेत्र में संरक्षण और विकास के बीच संतुलन कैसे तय किया जाएगा।

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