डिजिटल डेस्क- कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने हाल ही में सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की एक पुरानी तस्वीर साझा कर कांग्रेस के भीतर हलचल पैदा कर दी। तस्वीर में प्रधानमंत्री मोदी नीचे बैठे हुए नजर आ रहे थे, और दिग्विजय ने इसे आरएसएस की संगठनात्मक ताकत का उदाहरण बताते हुए पोस्ट किया था। इस पोस्ट के बाद उन्हें विपक्षी नेताओं और सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ा। अब अपने बयान का बचाव करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्होंने कभी भी गोडसे जैसे व्यक्तियों से सीखने की बात नहीं की। उनका स्पष्ट संदेश था कि वे हमेशा भाजपा और आरएसएस की विचारधारा के विरोध में रहे हैं और रहेंगे। उन्होंने कहा कि हर संगठन को मजबूत करने की जरूरत होती है और यह किसी भी राजनीतिक दल के लिए आवश्यक है।
इस तरह के बयान विवाद के कारण नहीं बनने चाहिए- शशि थरूर
इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी प्रतिक्रिया दी। थरूर ने कहा कि दिग्विजय सिंह के बयान को पूरे संदर्भ में देखा जाना चाहिए। उन्होंने सभी नेताओं से अनुशासन बनाए रखने का आग्रह करते हुए कहा कि संगठन को मजबूत करने की बात सही है, लेकिन इस तरह के बयान विवाद का कारण नहीं बनना चाहिए। थरूर ने कहा कि संगठन के भीतर अनुशासन और एकजुटता जरूरी है, और दिग्विजय खुद अपने बयान के लिए स्पष्टीकरण देंगे। दिग्विजय सिंह ने अपने पोस्ट में यह भी कहा कि कांग्रेस के भीतर संगठनात्मक सुधार और सत्ता के विकेंद्रीकरण की आवश्यकता है। उन्होंने विशेष रूप से विपक्ष के नेता राहुल गांधी को टैग करते हुए संगठन के स्तर पर सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा, उन्होंने कांग्रेस में मजबूत संगठनात्मक संरचना की वकालत की, ताकि स्थानीय स्तर पर पार्टी की गतिविधियों और चुनावी तैयारियों को सुचारू रूप से चलाया जा सके।
बयान के बाद दिग्विजय सिंह ने दी थी सफाई
इससे पहले दिग्विजय सिंह ने पार्टी के वार्ड स्तर संगठन की स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा था कि वोट चोरी और अन्य चुनावी मुद्दों से निपटने के लिए मजबूत संगठन की जरूरत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका यह बयान भाजपा और आरएसएस की प्रशंसा नहीं है, बल्कि राजनीतिक दलों के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर केंद्रित है। दिग्विजय सिंह के इस बयान ने कांग्रेस के भीतर चर्चा को बढ़ा दिया है। जबकि कुछ नेताओं ने उनके दृष्टिकोण को संगठन सुधार की दिशा में सकारात्मक माना है, वहीं आलोचक इसे भाजपा और आरएसएस की ताकत को उजागर करने वाला कदम बता रहे हैं।