2025 में मिशन शक्ति का असर… कल्याणकारी योजनाओं से यूपी में कितना बदली महिलाओं की तस्वीर, जानें पूरी रिपोर्ट

KNEWS DESK – योगी आदित्यनाथ सरकार की महिला-केंद्रित नीतियों ने उत्तर प्रदेश को देशभर में एक मजबूत और प्रभावी ‘यूपी मॉडल’ के रूप में स्थापित किया है. महिलाओं की सुरक्षा, स्वावलंबन और सम्मान अब केवल सरकारी दावों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि जमीनी स्तर पर साफ दिखाई देने लगे हैं. पिछले एक साल में लागू योजनाओं और अभियानों ने प्रदेश की महिलाओं, किशोरियों और बालिकाओं के जीवन में व्यापक बदलाव लाया है.

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ से बदली सोच

योगी सरकार की प्राथमिकता में बालिकाओं का भविष्य सबसे ऊपर रहा है. ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत हजारों जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए लाखों महिलाओं और बालिकाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति जागरूक किया गया. इस पहल का असर बाल लिंग अनुपात में सुधार और बेटियों की शिक्षा में बढ़ती भागीदारी के रूप में सामने आया है.

कन्या सुमंगला योजना से शिक्षा को मजबूती

मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना ने जन्म से लेकर उच्च शिक्षा तक बेटियों को आर्थिक सहारा दिया है. इस योजना के तहत लाखों बालिकाओं को वित्तीय सहायता मिली, जिससे न सिर्फ उनकी पढ़ाई जारी रही, बल्कि समाज में बेटियों को बोझ समझने की मानसिकता भी बदली.

निराश्रित महिला पेंशन योजना के जरिए विधवा, परित्यक्ता और असहाय महिलाओं को नियमित आर्थिक सहायता मिल रही है. इस पहल ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया और उन्हें सम्मान के साथ जीवन जीने की ताकत दी.

मिशन शक्ति बना सुरक्षा की ढाल

महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए शुरू किया गया मिशन शक्ति अभियान आज प्रदेशभर में प्रभावी रूप से लागू है. इस अभियान के तहत सरकारी विभागों, सामाजिक संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों की सहभागिता से महिलाओं को उनके अधिकारों और कानूनों की जानकारी दी जा रही है. ‘हक की बात’ और ‘स्वावलंबन कैंप’ जैसे कार्यक्रमों ने प्रशासन और महिलाओं के बीच सीधा संवाद स्थापित किया है.

त्वरित न्याय और सहायता की मजबूत व्यवस्था

हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर और 181 महिला हेल्पलाइन ने त्वरित न्याय और सहायता सुनिश्चित की है. चिकित्सा, कानूनी और पुलिस मदद एक ही स्थान पर उपलब्ध कराकर सरकार ने महिला सुरक्षा के प्रति अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को मजबूती दी है.

कामकाजी और निराश्रित महिलाओं के लिए महिला हॉस्टल, शरणालय, शक्ति सदन और सखी निवास जैसी योजनाओं ने सुरक्षित आश्रय की व्यवस्था की है. इससे महिलाएं बिना डर के रोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं.

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