डिजिटल डेस्क- पंजाब सरकार ने अमृतसर के SSP विजिलेंस लखबीर सिंह को सस्पेंड कर दिया है। यह कार्रवाई वरिष्ठ IAS अधिकारी की शिकायत के बाद की गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए बताया गया कि यह केस करोड़ों रुपये के विकास कार्यों के टेंडर में कथित घोटाले से जुड़ा हुआ है। मामला अमृतसर के पॉश इलाके रणजीत एवेन्यू में 55 करोड़ रुपये के विकास कार्यों के टेंडर में घोटाले की जांच से संबंधित है। अधिकारियों ने जांच में अनियमितताओं और देरी पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद सस्पेंशन की कार्रवाई की गई। इसी हफ्ते पंजाब के पूर्व IPS अधिकारी और आईजी अमर सिंह चहल ने पटियाला में अपने घर पर आत्महत्या की कोशिश की। उन्हें गंभीर हालत में तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत गंभीर बताई। पुलिस ने मौके से 25 पन्नों का सुसाइड नोट बरामद किया। सुसाइड नोट में अमर सिंह ने बताया कि एक बड़े ऑनलाइन स्कैम का शिकार होने के बाद उन्हें अपमानित महसूस हुआ। उन्होंने लिखा कि उन्हें 8 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया, जिससे वे गहरे डिप्रेशन में चले गए थे।
IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार ने सुसाइड नोट में लिखे थे अधिकारियों के नाम
इस घटना ने प्रशासनिक और मानसिक तनाव के मुद्दों को फिर से उजागर किया है। अमर सिंह चहल का मामला एक बड़े पैमाने पर अधिकारियों पर पड़ने वाले दबाव और वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित है। उनका सुसाइड नोट प्रशासनिक अधिकारियों और जांच प्रक्रिया में कमियों को उजागर करता है। सिर्फ पंजाब ही नहीं, हरियाणा में भी IPS अधिकारियों की मानसिक प्रताड़ना से जुड़ा मामला सामने आया है। हरियाणा कैडर के IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार ने अक्टूबर 2025 में आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने सुसाइड से पहले 8 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा। इसमें उन्होंने तीन रिटायर्ड IAS और 10 IPS अधिकारियों के नाम लिए और बताया कि किस तरह उन्हें अपनी सेवा के दौरान मानसिक और प्रशासनिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उनकी पत्नी भी सिविल सर्वेंट हैं।
मानसिक उत्पीड़न का लगाया था आरोप
वाई पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि अगस्त 2020 से वे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जाति आधारित भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न झेल रहे थे। सार्वजनिक अपमान और अत्याचार से वे इतने परेशान थे कि इसे सहन करना उनके लिए असंभव हो गया था। उन्होंने नोट में मानसिक और प्रशासनिक यातनाओं की कई घटनाओं को विस्तार से बताया। इन दोनों मामलों ने देश में अधिकारियों के मानसिक स्वास्थ्य और कार्यस्थल में हो रही प्रताड़ना पर नई बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च पदों पर तैनात अधिकारियों को भी दबाव और अनियमितताओं के कारण मानसिक स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ सकता है। प्रशासनिक सुधारों और निगरानी प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।