उत्तराखंड- भाजपा के द्वार ,हरीश की हुंकार !

उत्तराखंड- उत्तराखंड में भले ही विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं, लेकिन पहले ही राज्य की राजनीति अपने चरम पर पहुंचती दिखाई दे रही है। यह राजनीति अब सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, बेरोजगारी या पलायन जैसे जमीनी मुद्दों पर नहीं बल्कि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर हो रही है। उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी एक दूसरे पर योजनाओं की नाकामी, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था और जनविरोधी फैसलों को लेकर आरोप प्रत्यारोप करते रहे हैं लेकिन मौजूदा दौर में यह सियासी संघर्ष नीतियों और मुद्दों से हटकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की धुरी बनी हुआ है। दोनों ही पार्टी के नेता इसे डिजिटल हथियार से उनकी छवि खराब करने की बात कर रहे हैं हाल के दिनों में राज्य में सामने आए कई विवादों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीति अब डिजिटल प्लेटफॉर्म और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे लड़ी जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ए आई वीडियो ने उत्तराखंड की सियासत को गरमा दिया है। हरीश रावत ने AI वीडियो पर आपत्ति दर्ज कराते हुए पुलिस को शिकायती पत्र तक दिया है। साथ ही उन्होंने बीजेपी पर छवि खराब करने का आरोप लगाया है और साथ ही प्रदेश भाजपा मुख्य कार्यालय के बाहर अपने कार्यकर्ताओं के साथ घंटो विरोध प्रदर्शन भी किया।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के एआई वीडियो ने प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है। एआई जनरेटर वीडियो के खिलाफ हरीश रावत लगातार मुखर हैं और बीजेपी पर जमकर निशाना साध रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को AI वीडियो में पाकिस्तानी जासूस दिखाया गया है. एक के बाद एक आए ए आई जनरेटेड वीडियो से नाराज होकर हरीश रावत अपने समर्थकों के साथ राजधानी देहरादून में स्थित प्रदेश कार्यालय भाजपा पहुंच कर बीजेपी पर छवि खराब करने का आरोप लगाया है.साथ ही 2022 में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने को लेकर भाजपा  द्वारा प्रचार करने और आरोप सिद्ध करने को लेकर जवाब माँगा है,साथ ही भाजपा को चेतावनी दी है.कि अगर जब तक भाजपा जवाब नहीं देती वो हर महीने की किसी भी तारीख को भाजपा के प्रदेश कार्यालय पर ऐसे ही अपने समर्थको के साथ विरोध करेंगे।और भाजपा जवाब नहीं देती तो जनता के बीच जा कर इंसाफ की गुहार लगाएंगे।वही भाजपा ने हरीश रावत पर AI प्रकरण पर हरीश रावत पर राजनीती करने का आरोप लगाया है।

भाजपा प्रदेश की और से कहा गया है, कि वायरल वीडियो को लेकर जिस तरह से पूर्व सीएम हरीश रावत ने भाजपा मुख्यालय कूच किया वह न केवल कानून पर अविश्वास है, बल्कि राजनीति से प्रेरित है।भाजपा की और से 2016 में कांग्रेस की सरकार के होते मुसलिम एवं अन्य धर्मों के राजकीय सेवकों को नमाज प्रार्थना पर कार्य दिवस में विशेष अल्पावकाश की सुविधा से सम्बंधित जिओ पेश किया गया भाजपा का मानना है ये हरीश रावत की सरकार के समय का ही विशेष समुदाय के प्रति प्रेम को दर्शाता है.वही कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 2016 में उनके रहते बतौर मुख्यमंत्री के जारी जिओ को फर्जी बताते हुए मीडिया के सामने ही पत्र को फाड़ डाला।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस राज्य में बेरोजगारी, पलायन, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, पहाड़ी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव और आपदा प्रबंधन जैसे गंभीर मुद्दे मौजूद हैं। यहां राजनीति का केंद्र AI से बनी क्लिप्स और सोशल मीडिया विवाद क्यों बन गया है? राजनीतिक विश्लेषकों का तो ये भी मानना है कि उत्तराखंड की राजनीति में यह बदलाव खतरनाक संकेत है, चुनाव से पहले ही यदि दल एक दूसरे की छवि खराब करने के लिए तकनीक का दुरुपयोग करने लगें तो लोकतांत्रिक विमर्श का स्तर गिरना तय है। ऐसे में सवाल अब यही है अपनी साख बचाने के चक्कर में राजनैतिक दल जनता के मुद्दों से क्या भटक चुके है या फिर चुनाव का ही इंतजार इस कदर दर ब दर कर रहे है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *