KNEWS DESK – बांग्लादेश में जारी हिंसा को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की पूरी जिम्मेदारी मोहम्मद यूनुस की सरकार और पुलिस प्रशासन की है। थरूर ने कहा कि यदि सरकार और पुलिस हालात पर काबू पाने में असफल हो रही हैं, तो सेना को तैनात किया जाना चाहिए, लेकिन किसी भी सूरत में हिंसा रुकनी चाहिए।
हिंदू युवक की हत्या पर जताई कड़ी नाराजगी
24 दिसंबर 2025 को समाचार एजेंसी से बातचीत में शशि थरूर ने पुलिस हिरासत में एक हिंदू युवक की लिंचिंग को बेहद गंभीर और शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि युवक पर किसी भी तरह के अपमानजनक कृत्य का कोई सबूत नहीं था, इसके बावजूद उसे भीड़ के हवाले कर दिया गया। थरूर ने इसे कानून व्यवस्था की पूरी तरह से विफलता करार दिया।
शशि थरूर ने कहा कि बांग्लादेश में सड़कों पर हो रही हिंसा, लगातार विरोध प्रदर्शन और भारतीय दूतावासों के बाहर हो रहे प्रदर्शनों ने स्थिति को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे हालात में फरवरी में प्रस्तावित चुनावों से पहले देश में शांति और स्थिरता कायम करना बेहद मुश्किल होगा।
छात्र नेता की मौत में भारत की भूमिका से किया इनकार
थरूर ने छात्र नेता की मौत को लेकर भारत पर लगाए जा रहे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत का बांग्लादेश में अस्थिरता फैलाने से कोई लाभ नहीं है। भारत पर इस तरह के आरोप लगाना पूरी तरह निराधार और बेतुका है। थरूर ने कहा कि ऐसे बयान अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत और असुरक्षा का माहौल पैदा कर रहे हैं, जो किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए खतरनाक है।
शांतिपूर्ण विरोध लोकतंत्र का हिस्सा
शशि थरूर ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन करना हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन यह शांतिपूर्ण होना चाहिए। उन्होंने भारत का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां सीमा से जुड़ी घटनाओं को लेकर विरोध हुए हैं, लेकिन कहीं भी हिंसा या लिंचिंग नहीं हुई। अगर कोई हिंसा की कोशिश करता है, तो पुलिस तुरंत कार्रवाई करती है।
बांग्लादेश सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग
थरूर ने बांग्लादेश सरकार से अपील की कि केवल निंदा या अफसोस जताने से हालात नहीं सुधरेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को ठोस और सख्त कदम उठाकर हिंसा पर रोक लगानी होगी। थरूर ने सवाल उठाया कि जब सड़कों पर डर और अराजकता का माहौल हो, लोग खुद को सुरक्षित महसूस न कर रहे हों, तो ऐसे में चुनाव कराना कैसे संभव होगा।