डिजिटल डेस्क- मोदी सरकार ने दिल्ली मेट्रो के विस्तार को लेकर बड़ा फैसला लिया है। बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में दिल्ली मेट्रो के फेज-5A को मंजूरी दे दी गई है। इस मेगा प्रोजेक्ट पर करीब 12,015 करोड़ रुपये की लागत आएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि इस परियोजना से राजधानी के मेट्रो नेटवर्क को और मजबूती मिलेगी और यह तीन साल में पूरा किया जाएगा। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क वाला देश बन चुका है। देशभर में मेट्रो की औसत दैनिक राइडरशिप करीब 1.15 करोड़ है, जबकि अकेले दिल्ली में रोजाना करीब 65 लाख यात्री मेट्रो से सफर करते हैं। फिलहाल दिल्ली में 12 मेट्रो लाइन संचालित हैं और 6 नए प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं।
10 अंडरग्राउंड और 3 एलिवेटेड स्टेशन जुड़ेंगे दिल्ली मेट्रो में
नए फेज-5A के तहत कुल 13 स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें 10 अंडरग्राउंड और 3 एलिवेटेड स्टेशन होंगे। इस फेज की कुल लंबाई करीब 16 किलोमीटर होगी। सरकार का दावा है कि इस विस्तार के बाद दिल्ली मेट्रो नेटवर्क की कुल लंबाई 400 किलोमीटर से ज्यादा हो जाएगी, जो राजधानी के सार्वजनिक परिवहन के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। कैबिनेट ने जिन तीन प्रमुख मेट्रो कॉरिडोर को मंजूरी दी है, उनमें रामकृष्ण आश्रम मार्ग से इंद्रप्रस्थ, एयरोसिटी से टर्मिनल-1 और कालिंदीकुंज से तुगलकाबाद शामिल हैं। इन रूट्स से दिल्ली के व्यस्त इलाकों में आवागमन और आसान होगा।
दिल्ली के प्रदूषण पर पड़ेगा सीधा असर
सरकार का मानना है कि मेट्रो विस्तार का सीधा असर प्रदूषण पर पड़ेगा। अनुमान है कि हर साल करीब 33 हजार टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी। इससे दिल्ली की बिगड़ती हवा को सुधारने में मदद मिलेगी। साथ ही निजी वाहनों पर निर्भरता कम होगी, जिससे ट्रैफिक जाम और ईंधन की खपत भी घटेगी।