डिजिटल डेस्क- बीएमसी चुनाव से पहले महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। वर्षों बाद ठाकरे बंधुउद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आकर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इस फैसले ने न सिर्फ शिवसेना और एमएनएस के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है, बल्कि राज्य की राजनीति में नए समीकरणों की शुरुआत भी कर दी है। गठबंधन की घोषणा से पहले दोनों नेताओं ने शिवाजी पार्क में बालासाहेब ठाकरे के स्मारक पर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। यह दृश्य राजनीतिक के साथ-साथ भावनात्मक संदेश भी देता नजर आया। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि यह क्षण मराठी जनता के लिए गर्व का है। उन्होंने कहा कि बालासाहेब ठाकरे के सपनों को साकार करने के लिए ठाकरे परिवार फिर एकजुट हो रहा है।
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी जानकारी
एमएनएस के वरिष्ठ नेता यशवंत किल्लेदार ने बताया कि दोपहर में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन का ऐलान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला पार्टी कार्यकर्ताओं की लंबे समय से चली आ रही भावना को दर्शाता है। दोनों दलों के जमीनी कार्यकर्ता इस गठबंधन को लेकर बेहद उत्साहित हैं और इसे मराठी अस्मिता की जीत मान रहे हैं। संजय राउत ने भाजपा पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि पिछले दो दशकों में ठाकरे परिवार का अलगाव महाराष्ट्र के हित में नहीं था। अब मुंबई और राज्य में चल रही कथित लूट को रोकने के लिए दोनों भाई एक साथ आए हैं। उन्होंने दावा किया कि शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस मिलकर मुंबई की 10 नगर निगमों में भाजपा को कड़ी चुनौती देंगे।
कांग्रेस ने गठबंधन पर उठाए सवाल
इस गठबंधन पर कांग्रेस ने भी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता अतुल लोंढे ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर ठाकरे बंधु एकजुट हो रहे हैं और पवार परिवार में भी नजदीकियां बढ़ रही हैं, तो क्या यह महायुति में टूट का संकेत है? उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। शिवसेना (यूबीटी) विधायक सचिन अहीर ने इसे महाराष्ट्र के लिए ऐतिहासिक दिन बताया। उन्होंने कहा कि आज ठाकरे परिवार का एक साथ आना राज्य की राजनीति के लिए आशा की किरण है। उनके मुताबिक, भाजपा विरोधी ताकतों को एकजुट होना चाहिए और यह गठबंधन उसी दिशा में बड़ा कदम है।