KNEWS DESK- बांग्लादेश इस वक्त गंभीर राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़क उठी है और हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। सड़कों पर विरोध प्रदर्शन, आगजनी और धमकियों के बीच अब सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या मोहम्मद यूनुस की सरकार टिक पाएगी?
जिस राजनीतिक बदलाव के चलते पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा था, उसी बदले हुए समीकरण ने मोहम्मद यूनुस को सत्ता तक पहुंचाया। लेकिन अब वही ताकतें यूनुस के खिलाफ खड़ी होती दिख रही हैं। इस उबाल के केंद्र में है इंकलाब संगठन, जो उस्मान हादी से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है।
उस्मान हादी की हत्या के बाद इंकलाब संगठन खुलकर सरकार के खिलाफ आ गया है। संगठन का आरोप है कि सरकार दोषियों को बचा रही है और जानबूझकर कार्रवाई में देरी कर रही है।
इंकलाब संगठन के सचिव अब्दुल्ला अल जाबेर ने सरकार को सीधी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर उस्मान हादी के हत्यारों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया, तो सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रहेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि अब इंतजार की सीमा खत्म हो चुकी है और अगर न्याय नहीं मिला तो आंदोलन और तेज होगा।
जाबेर ने यह संकेत भी दिया कि सत्ता परिवर्तन की मांग अब खुलकर सामने लाई जाएगी। उनके बयान को यूनुस सरकार के लिए सीधे राजनीतिक खतरे के रूप में देखा जा रहा है।
देश के कई हिस्सों में कानून-व्यवस्था लगभग ठप पड़ती नजर आ रही है। आरोप हैं कि कट्टरपंथी समूह खुलेआम हिंसा कर रहे हैं और उन्हें रोकने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है हालांकि मोहम्मद यूनुस लगातार शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं और उस्मान हादी की मौत पर दुख जता चुके हैं, लेकिन ज़मीनी हालात उनके बयानों के उलट दिख रहे हैं।
बांग्लादेश में अगले साल आम चुनाव प्रस्तावित हैं। इसी बीच सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह चुनाव टालने और सत्ता को लंबे समय तक अपने हाथ में रखने की कोशिश कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यही वजह है कि विरोधी ताकतें अब और आक्रामक हो गई हैं।
इस पूरे संकट के बीच सबसे ज्यादा असर अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदू समुदाय पर पड़ता दिख रहा है। कई इलाकों से हिंदुओं पर हमलों, मारपीट और हत्या की खबरें सामने आई हैं। 18 दिसंबर को हिंदू युवक दीपू चंद्र की हत्या ने हालात को और गंभीर बना दिया। शुरुआती जांच में सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ा आरोप साबित नहीं हो सका, जिससे यह मामला सांप्रदायिक हिंसा से जोड़कर देखा जा रहा है।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे कथित अत्याचारों को लेकर भारत में भी नाराज़गी देखी जा रही है। दिल्ली, कोलकाता, भोपाल और जम्मू-कश्मीर सहित कई जगहों पर प्रदर्शन हुए। कुछ संगठनों ने बांग्लादेश के कूटनीतिक और खेल संबंधों पर भी सवाल उठाए हैं।