सदन में BLO की मौत और SIR को लेकर हंगामा, विपक्ष के सवालों पर सुरेश खन्ना का जवाब

KNEWS DESK- उत्तर प्रदेश विधानसभा में BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) की मौत और SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) प्रक्रिया को लेकर विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। विपक्षी विधायकों ने चुनावी प्रक्रियाओं में कथित लापरवाही, शिक्षकों पर बढ़ते दबाव और आरक्षण से जुड़े मुद्दों को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

सपा विधायक संग्राम सिंह यादव ने प्रतियोगी परीक्षाओं में आरक्षण को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी के चयन आयोग ने चुपके से माइग्रेशन की व्यवस्था समाप्त कर दी। जब छात्रों ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने उनके साथ अभद्रता की। उन्होंने इसे युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ बताया।

विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि उठाए गए अधिकांश मुद्दे चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। उन्होंने आर्टिकल 13-AA का हवाला देते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया की जानकारी दी। BLO की मौतों पर उन्होंने कहा कि जिन परिवारों ने अपने लोगों को खोया है, उनके प्रति सरकार की पूरी संवेदना है। हालांकि मौत के कारणों की जांच की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मृतक BLO के परिवारों को अन्य सरकारी कर्मचारियों के समान ही ट्रीट किया जाएगा।

सपा विधायक पारस ने वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि यदि कोई व्यक्ति बाहर रहकर काम करता है, तो BLO उसके वोट काटने का दबाव बनाते हैं। पहले फार्म-6 भरना आसान था, लेकिन अब एफिडेविट अनिवार्य कर दिया गया है, जिस पर करीब 600 रुपये खर्च आते हैं। इससे गरीब मतदाताओं को परेशानी हो रही है।

विधायक आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने यूपी में 10 BLO की मौतों का मुद्दा उठाते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सवाल किया कि SIR की इतनी जल्दबाजी क्यों थी और बिना किसी ट्रेनिंग के शिक्षकों की ड्यूटी क्यों लगाई गई। उन्होंने मुरादाबाद के शिक्षक सर्वेश की आत्महत्या का जिक्र करते हुए कहा कि अफसरों के दबाव और प्रशासनिक लापरवाही के चलते शिक्षकों की जान गई।

उन्होंने फतेहपुर में 27 वर्षीय लेखपाल द्वारा शादी से एक दिन पहले आत्महत्या और ड्यूटी के दौरान एक महिला शिक्षक की हार्ट अटैक से मौत का भी जिक्र किया। उनका कहना था कि ये सिर्फ वही घटनाएं हैं जो सामने आईं, असल आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है।

आराधना मिश्रा ने मांग की कि सरकार मृतक कर्मचारियों के परिजनों को नौकरी दे और 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करे। उन्होंने आरोप लगाया कि इस पूरी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों और दलितों को हुआ है, जिनके नाम वोटर लिस्ट से काटे गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *