KNEWS DESK – इंकिलाब मंच के संयोजक और चर्चित छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी को शनिवार को ढाका में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। उनकी अंतिम विदाई में शामिल होने के लिए बांग्लादेश के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग राजधानी पहुंचे। नेशनल पार्लियामेंट बिल्डिंग के आसपास सुबह से ही भारी भीड़ जुटने लगी थी। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस भी जनाज़े में शामिल हुए और हादी को “वीर” बताते हुए कहा कि उन्होंने देश के लिए जो योगदान दिया है, उसे हमेशा याद रखा जाएगा।
संसद भवन क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा
भीड़ और संभावित तनाव को देखते हुए कानून-व्यवस्था एजेंसियों ने पूरे इलाके में कड़े सुरक्षा इंतजाम किए। संसद भवन के सामने स्थित माणिक मिया एवेन्यू पर ट्रैफिक पूरी तरह बंद कर दिया गया। नेशनल पार्लियामेंट बिल्डिंग के आसपास हर आने-जाने वाले पर नजर रखी गई और अतिरिक्त बल तैनात किया गया।
दोपहर 2 बजे अदा हुई नमाज़-ए-जनाज़ा
सरकारी सूचना के अनुसार, शरीफ उस्मान हादी की नमाज़-ए-जनाज़ा शनिवार दोपहर करीब 2 बजे नेशनल पार्लियामेंट बिल्डिंग के साउथ प्लाजा में अदा की गई। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को ढाका विश्वविद्यालय ले जाया गया, जहां विश्वविद्यालय की सेंट्रल मस्जिद में श्रद्धांजलि दी गई और जनाज़े की आगे की रस्में पूरी की गईं।
काजी नजरुल इस्लाम के मकबरे के पास दफन
अंतिम संस्कार के बाद हादी को राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम के मकबरे के पास दफनाया गया। इस मौके पर ढाका विश्वविद्यालय प्रशासन ने विशेष तैयारियां की थीं। शुक्रवार रात हुई विश्वविद्यालय सिंडिकेट की ऑनलाइन बैठक में कैंपस और खासतौर पर नजरुल के मकबरे के आसपास सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विस्तृत चर्चा की गई थी।
ड्रोन और बैग पर सख्त रोक
मुख्य सलाहकार के प्रेस विंग ने जनाज़े में शामिल होने वालों से अपील की कि वे किसी भी तरह के बैग या भारी सामान लेकर न आएं। साथ ही संसद भवन और आसपास के इलाकों में ड्रोन उड़ाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया। नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई।
1000 बॉडी-वॉर्न कैमरों के साथ पुलिस तैनात
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (DMP) ने सुरक्षा के मद्देनज़र राजधानी में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की। खास बात यह रही कि करीब 1,000 बॉडी-वॉर्न कैमरों का इस्तेमाल किया गया। DMP के मुताबिक, इसका उद्देश्य न सिर्फ अतिरिक्त सुरक्षा सुनिश्चित करना है, बल्कि फील्ड स्तर पर निगरानी को मजबूत करना और केंद्रीय नियंत्रण को और प्रभावी बनाना भी है।