डिजिटल डेस्क- मनरेगा की जगह लाए गए विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G राम जी बिल 2025 को लेकर सियासी घमासान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट बैठक में सरकार का पक्ष स्पष्ट किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जवाबदेही केवल केंद्र सरकार की नहीं, बल्कि राज्यों की भी है। धन का विवेकपूर्ण और पारदर्शी उपयोग तभी संभव है, जब केंद्र और राज्य दोनों अपनी जिम्मेदारी निभाएं। पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि इस नए बिल में प्रौद्योगिकी के व्यापक इस्तेमाल से पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी, ताकि केंद्र बनाम राज्य को लेकर किए जाने वाले दावों और आरोपों पर विराम लगे। उन्होंने कहा कि तकनीक के जरिए यह साफ दिखेगा कि पैसा कहां गया, कैसे खर्च हुआ और किस स्तर पर जिम्मेदारी तय होती है। बिल के नाम को लेकर उठे विवाद पर प्रधानमंत्री ने कहा कि नाम को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए। समय के साथ व्यवस्थाएं और नाम बदलते रहते हैं। महात्मा गांधी और भगवान राम दोनों ही भारतीय चेतना और संस्कृति के पूजनीय प्रतीक हैं, और सरकार दोनों की भावना का सम्मान करती है।
लोकसभा में पेश हुआ VB-G राम जी बिल
शीतकालीन सत्र के दौरान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने VB-G राम जी बिल 2025 को लोकसभा में पेश किया। इसके बाद विपक्ष ने सदन में जमकर विरोध दर्ज कराया। विपक्षी दलों का आरोप है कि यह बिल गरीब विरोधी है और इससे राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। इस बिल के तहत ग्रामीण परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन के बजाय 125 दिन के मजदूरी रोजगार की गारंटी देने का प्रस्ताव है। यह मौजूदा MGNREGA से बड़ा बदलाव माना जा रहा है। हालांकि, इसके साथ ही बिल में पहली बार रोजगार गारंटी में 60 दिनों की रोक का भी प्रावधान किया गया है। यह रोक मुख्य कृषि मौसम बुवाई और कटाई के दौरान लागू होगी।
राज्यों पर बढ़ेगा वित्तीय बोझ
VB-G राम जी बिल का सबसे बड़ा बदलाव इसकी फंडिंग संरचना है। जहां मनरेगा में मजदूरी का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती थी, वहीं नए बिल में यह बोझ केंद्र और राज्यों के बीच बांटा जाएगा।
बिल की धारा 22(2) के अनुसार—
- पूर्वोत्तर, हिमालयी राज्य और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए फंडिंग पैटर्न 90:10 होगा।
- अन्य राज्यों और विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए यह अनुपात 60:40 रहेगा।