मनरेगा का नाम बदलने की तैयारी, आज कैबिनेट में लग सकती है मुहर, मनरेगा अब हो सकती है पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना

डिजिटल डेस्क- केंद्र की मोदी सरकार देश की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा (MGNREGA) का नाम बदलने की तैयारी में है। बुधवार को होने वाली केंद्रीय कैबिनेट बैठक में इस पर फैसला होने की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार मनरेगा का नया नाम ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ रखने पर गंभीरता से विचार कर रही है। अगर कैबिनेट में मंजूरी मिल जाती है तो यह योजना नई पहचान के साथ लागू होगी। मनरेगा योजना की शुरुआत वर्ष 2005 में मनमोहन सिंह सरकार के दौरान की गई थी। पहले इसका नाम नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (NREGA) था, जिसे बाद में बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) किया गया।
यह योजना भारत के ग्रामीण गरीबों के लिए रोजगार का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच मानी जाती है। फिलहाल 15.4 करोड़ से अधिक लोग इस योजना से जुड़े हुए हैं।

ग्रामीण परिवारों को साल में 100 दिन रोजगार

मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को वर्ष में कम से कम 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना है। यह कार्यक्रम आज भी भारत की सबसे व्यापक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में से एक है। इसका संचालन ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा किया जाता है और यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाता है। आज की केंद्रीय कैबिनेट बैठक केवल मनरेगा के नाम बदलने तक सीमित नहीं है। सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर भी विचार कर सकती है।

1. पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी बिल 2025

MGNREGA का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ करने के प्रस्ताव पर कैबिनेट सहमति दे सकती है। सरकार का मानना है कि इससे योजना को नया संदेश और नई पहचान मिलेगी। कैबिनेट न्यूक्लियर एनर्जी बिल को भी मंजूरी दे सकती है, जिसका उद्देश्य देश में परमाणु ऊर्जा उत्पादन को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से बढ़ाना है। यह कदम भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

3. विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान बिल 2025

शिक्षा क्षेत्र में बड़े सुधारों को आगे बढ़ाते हुए सरकार विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान बिल पर भी मोहर लगा सकती है। इसका लक्ष्य भारत की शिक्षा व्यवस्था को विकसित भारत 2047 के विज़न के अनुरूप ढालना है। MGNREGA देश की सबसे चर्चित योजनाओं में से एक है। ऐसे में इसका नाम बदलने के फैसले पर राजनीतिक बहस तेज होना तय माना जा रहा है। हालांकि सरकार का तर्क है कि यह कदम योजनाओं को गांधीजी के सिद्धांतों से जोड़ने और उन्हें नई पहचान देने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।

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