शिव शंकर सविता- लोकसभा में शुक्रवार का दिन एक असाधारण राजनीतिक घटना का साक्षी बना, जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने वायु प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे पर सरकार को एक ऐतिहासिक प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि देश की जहरीली होती हवा के सवाल पर राजनीति और आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर सदन को एकजुट होकर कदम उठाने चाहिए। राहुल गांधी ने यह भी स्पष्ट किया कि विपक्ष सरकार को दोष नहीं देगा, और बदले में सरकार भी विपक्ष पर उंगली न उठाए। दोनों केवल समाधान पर बात करें। शून्यकाल में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा कि देश के अधिकांश महानगर जहरीली हवा की चादर में घिर चुके हैं। लाखों बच्चे फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे हैं, बुजुर्गों की सांसें रुक रही हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की आशंका बढ़ गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह संकट केवल पर्यावरण का नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के अस्तित्व का सवाल है।
प्रधानमंत्री स्वयं सभी महानगरों के लिए चरणबद्ध योजना की घोषणा करें- राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा, “यह कोई वैचारिक लड़ाई नहीं है। सदन का हर सदस्य इस बात पर सहमत होगा कि वायु प्रदूषण से देशवासियों को जो क्षति हो रही है, वह अस्वीकार्य है। ऐसे मौके बहुत कम आते हैं जब सत्ता और विपक्ष एकसाथ खड़े हो सकते हैं। आइए इसे अवसर बनाएं और आगामी 5 से 10 वर्षों में हर बड़े शहर के लिए एक स्पष्ट समयबद्ध योजना तैयार करें।” उन्होंने सुझाव दिया कि विस्तृत चर्चा के बाद प्रधानमंत्री स्वयं सभी महानगरों के लिए चरणबद्ध योजना की घोषणा करें, ताकि जनता को यह भरोसा मिले कि संसद उनकी सेहत और सुरक्षा के लिए गंभीर है।
सरकार शुरुआत से ही हर महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा के लिए तैयार रही- संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू
राहुल गांधी के इस प्रस्ताव पर सरकार की ओर से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया आई। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार शुरुआत से ही हर महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा के लिए तैयार रही है। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी और अन्य विपक्षी सदस्यों के सुझावों को साथ लेकर हम आगे बढ़ेंगे। नियमों और प्रक्रियाओं के तहत हम इस चर्चा को आगे बढ़ाने का रास्ता निकालेंगे।” विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सदन में यह चर्चा आयोजित होती है, तो यह मौजूदा लोकसभा सत्र की सबसे रचनात्मक बहस साबित हो सकती है। दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई शहर लगातार दुनिया के प्रदूषित शहरों में शीर्ष पर बने हुए हैं, ऐसे में संसद की यह पहल राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एक बड़े कदम की शुरुआत मानी जा रही है।