KNEWS DESK- हिन्दू धर्म में धनु संक्रांति को अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली समय माना जाता है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं, जिसके साथ ही वातावरण में नई ऊर्जा, सात्विकता और आध्यात्मिकता का संचार होने लगता है। पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में धनु संक्रांति 16 दिसंबर को पड़ी है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यह अवधि पुण्य संचित करने, साधना करने और शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।
धनु संक्रांति का महत्व
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि धनु संक्रांति के समय प्रकृति का वातावारण विशेष रूप से शांत, शुद्ध और सात्विक होता है। इस अवधि में मनुष्य के भीतर आलस्य कम होता है और मन में उर्जावानता और स्पष्टता बढ़ती है। यही कारण है कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान, जप, ध्यान और पूजा को कई गुना फलदायी माना गया है। सूर्य देव की उपासना से जीवन में संतुलन, उन्नति और सकारात्मकता बढ़ती है।
धनु संक्रांति पर शुभ कर्म क्यों जरूरी?
माना जाता है कि इस अवधि में किए गए दान, तप, साधना और मंत्रजप का प्रभाव सामान्य दिनों की तुलना में अधिक होता है। वातावरण में बढ़ी हुई सात्विक ऊर्जा मन और बुद्धि को हल्का करती है तथा जीवन में शुभ परिणामों को आकर्षित करती है। इसलिए इस दिन को पुण्य कमाने और आध्यात्मिक विकास का सर्वोत्तम अवसर माना गया है।
धनु संक्रांति पर क्या करें?
ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र स्नान
इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है। नदी, तालाब या घर के जल से स्नान करते समय सूर्य देव का ध्यान करें। इससे नकारात्मकता दूर होती है और दिनभर के लिए सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें
स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, अक्षत और थोड़ा गुड़ मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। यह कर्म जीवन में उन्नति का मार्ग खोलता है और बाधाएँ कम करता है। “ॐ सूर्याय नमः” का जप मन को स्थिर करता है और सौभाग्य बढ़ाता है।
तिल और गुड़ का दान
धनु संक्रांति पर तिल, गुड़, कंबल, वस्त्र, भोजन तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में शांति बनी रहती है।
घर और पूजा स्थान की शुद्धि
सुबह पूजा स्थान को साफ कर दीपक जलाना बहुत शुभ है। सूर्य देव और भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करने से घर में सात्विक ऊर्जा बढ़ती है और वातावरण शांत होता है।
सात्विक भोजन और संयम
धनु संक्रांति के दिन मन को शांत रखते हुए सात्विक भोजन ग्रहण करना सर्वोत्तम माना गया है। क्रोध, विवाद या कठोर वाणी से बचें। शांत आचरण से पुण्यफल बढ़ता है और मन में संतुलन बना रहता है।
धनु संक्रांति का दिन प्रकृति और आत्मा दोनों को पवित्र करने का अवसर देता है। सूर्य देवता की कृपा पाने के लिए इस दिन किए गए छोटे-छोटे शुभ कर्म भी अत्यंत फलदायी होते हैं। इसलिए 16 दिसंबर 2025 को आने वाली धनु संक्रांति का लाभ अवश्य उठाएँ और इसे आध्यात्मिक उन्नति व सकारात्मक जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बनाएं।