KNEWS DESK- राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर 23 नवंबर को वायु प्रदूषण के खिलाफ हुए प्रदर्शन का मामला लगातार सुर्खियों में है। इस प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों द्वारा नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा के समर्थन में नारे लगाने की वजह से पुलिस ने 20 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया था। सोमवार को इस पूरे मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें 10 में से 9 आरोपियों को जमानत दे दी गई, जबकि एक महिला की याचिका अदालत ने खारिज कर दी।
जस्टिस अरिदमन सिंह चीमा ने कहा कि अभियोजन पक्ष किसी भी आरोपी को नक्सल या कट्टरपंथी संगठन से जोड़ने का ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया। अदालत ने बताया कि पुलिस के पास सीसीटीवी फुटेज और सभी वीडियो क्लिप पहले से मौजूद थीं। आरोपियों की भूमिका केवल “विरोध स्थल पर मौजूद होने और नारे लगाने” तक सीमित दिखी। ऐसे में आगे न्यायिक हिरासत में रखना “किसी उद्देश्य की पूर्ति” नहीं करता।
अदालत ने जमानत देते हुए कहा कि इन आरोपियों पर लगे अपराधों में अधिकतम सजा सात साल से कम है, इसलिए जमानत मिलना नियम है। कोर्ट ने एकमात्र आरोपी महिला इलाकिया की जमानत याचिका खारिज कर दी।
अदालत का कहना था कि इलाकिया ने वास्तव में हिड़मा के समर्थन में नारे लगाए। वह कथित रूप से रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन (RSU) की सदस्य है, जो नक्सलियों का प्रतिबंधित फ्रंटल संगठन माना जाता है। प्रदर्शन का पूरा प्लान उसी ने तैयार किया था। रिहा होने पर वह अन्य सदस्यों को सतर्क कर सकती है, जिससे जांच प्रभावित हो सकती है। इसके आधार पर उन्हें रिहा करना अदालत ने उचित नहीं समझा।