डिजिटल डेस्क- उत्तर प्रदेश में राशन कार्ड धोखाधड़ी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। हाल ही में आयकर विभाग के आंकड़ों और खाद्य विभाग के मिलान के आधार पर यह खुलासा हुआ है कि प्रदेश में 5 लाख से अधिक राशन कार्डधारक अपात्र पाए गए हैं। ये लोग निर्धारित आय सीमा से अधिक कमाई करते हुए भी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे थे। इस घोटाले ने राज्य सरकार की योजना पात्र लोगों तक पहुंचाने की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जांच में शामिल 55 प्रतिशत कार्डधारक निकले अपात्र
खाद्य विभाग ने अपने डेटा का केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के आंकड़ों से मिलान कराया। इसके परिणामस्वरूप पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में दो लाख रुपये से अधिक सालाना आय वाले 9,23,013 और शहरी क्षेत्रों में तीन लाख रुपये से अधिक सालाना आय वाले 7,69,361 राशन कार्डधारक हैं। कुल 16.92 लाख कार्डधारकों में से अब तक 9,10,378 की जांच पूरी कर ली गई, जिनमें 5,03,088 अपात्र पाए गए। यानी जांच में शामिल कार्डधारकों में लगभग 55 प्रतिशत अपात्र थे। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने अपात्र राशन कार्डधारकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। जिन कार्डधारकों की आय सीमा निर्धारित मानक से अधिक पाई गई है, उनके नाम काटने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। यदि शेष डाटा में भी यही अनुपात पाया जाता है, तो अनुमान है कि कुल सवा नौ लाख से अधिक राशन कार्डधारक अपात्र हो सकते हैं।
गलत तरीके से बनवाए राशन कार्ड
सरकारी योजनाओं के अनुसार, अंत्योदय और पात्र गृहस्थी योजना का लाभ केवल उन्हीं परिवारों को मिल सकता है, जिनकी आय ग्रामीण क्षेत्रों में दो लाख और शहरी क्षेत्रों में तीन लाख रुपये सालाना से अधिक नहीं है। इसके बावजूद भारी संख्या में लोग गलत तरीके से राशन कार्ड का लाभ उठा रहे थे। खाद्य विभाग ने जांच का जिम्मा अपने निरीक्षकों को सौंपा था, जिन्होंने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जांच करते हुए अपात्र कार्डधारकों की पहचान की। विभाग का कहना है कि यह कार्रवाई केवल अपात्रों को रोकने के लिए नहीं, बल्कि योजना के लाभ को वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए भी जरूरी है।