डिजिटल डेस्क- लोकसभा में मंगलवार को चुनाव सुधारों को लेकर हुई चर्चा के दौरान कई नेताओं ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए और मौजूदा चुनाव प्रणाली में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया। इस बहस में शिवसेना नेता और कल्याण से लोकसभा सांसद श्रीकांत शिंदे सबसे ज्यादा चर्चा में रहे। उन्होंने चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु 25 से घटाकर 18 वर्ष करने की मांग उठाई। शिंदे का कहना था कि जब 18 साल का व्यक्ति मतदान करने के योग्य माना जाता है, तो उसे चुनाव लड़ने का अधिकार भी मिलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने प्रवासी भारतीय मतदाताओं के लिए रिमोट वोटिंग की सुविधा शुरू करने की पैरवी की। श्रीकांत शिंदे ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए एक कॉमन वोटर लिस्ट बनाने और देशभर में चुनाव एक साथ कराने की भी सिफारिश की। उन्होंने कहा कि इससे चुनाव प्रणाली अधिक पारदर्शी बनेगी और बार-बार चुनाव होने से होने वाले भारी खर्च में भी कमी आएगी। चर्चा के दौरान उन्होंने महाराष्ट्र में अपने राजनीतिक विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी दलों ने स्थानीय चुनावों में अपने कार्यकर्ताओं के समर्थन में कमी दिखाई, जिसका खामियाजा उन्हें 2024 के चुनावों में हार के रूप में भुगतना पड़ा।
सुप्रिया सुले ने उठाये आयोग पर सवाल
दूसरी ओर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-SP) की वरिष्ठ नेता सुप्रिया सुले ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आयोग एक स्वतंत्र संस्था के बजाय सरकार का हिस्सा दिखने लगा है, जो किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए चिंताजनक है। सुले ने महाराष्ट्र में हो रहे स्थानीय निकाय चुनावों में कई अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए दावा किया कि एक BJP नेता के घर से भारी मात्रा में कैश जब्त किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि 20 से ज्यादा स्थानीय निकायों में सत्ता गठबंधन के नेताओं के रिश्तेदार निर्विरोध चुने गए हैं, जो चुनावी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को दोहराया
चुनाव सुधारों पर चर्चा में CPI(M) सांसद अमरा राम और RJD सांसद अभय कुमार सिन्हा ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) पर भरोसा कम होता जा रहा है, और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए बैलेट पेपर बेहतर विकल्प है। अमरा राम ने याद दिलाया कि सत्ता में आने से पहले BJP भी बैलेट पेपर की मांग कर चुकी है।