इथेनॉल मिश्रण पर सरकार का बड़ा बयान: E20 फ्यूल से नहीं आई कोई समस्या, किसानों को मिला 1.36 लाख करोड़ का लाभ

डिजिटल डेस्क– संसद का शीतकालीन सत्र जारी है और राज्यसभा में सोमवार को इथेनॉल मिश्रण को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। कांग्रेस सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने केंद्र सरकार से पिछले पांच वर्षों में पेट्रोल-डीजल में मिलाए गए इथेनॉल की मात्रा, उसकी लागत और इसके लाभ से जुड़ी जानकारी मांगी। जवाब में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने स्पष्ट किया कि इथेनॉल मिश्रण से गाड़ियों के परफॉर्मेंस पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है, और E20 फ्यूल वाली गाड़ियों को लेकर अब तक कोई तकनीकी दिक्कत सामने नहीं आई है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इथेनॉल की ब्लेंडिंग फिलहाल केवल पेट्रोल में की जाती है और पिछले पांच वर्षों में इसकी मात्रा में लगातार इजाफा हुआ है।

  • 2020-21: 8.10%
  • 2021-22: 10.02%
  • 2022-23: 12.06%
  • 2023-24: 14.60%
  • 2024-25 (नवंबर तक): 19% से अधिक

सरकार का दावा है कि मौजूदा सप्लाई वर्ष में 1000 करोड़ लीटर से अधिक इथेनॉल का मिश्रण किया गया है और औसत मिश्रण 19.24% तक पहुंच गया है। अक्टूबर 2025 में यह 19.97% तक पहुंच गया।

इथेनॉल से कीमतों पर क्या असर?

गोपी ने बताया कि इथेनॉल की औसत खरीद कीमत वर्तमान सप्लाई वर्ष में 71.55 रुपये प्रति लीटर (GST और ट्रांसपोर्टेशन सहित) रही है, जो रिफाइंड पेट्रोल की लागत से अधिक है। पेट्रोल का अंतिम रिटेल मूल्य 2010 से बाजार आधारित है और OMCs वैश्विक कीमतों के आधार पर इसे तय करती हैं। सरकार ने बताया कि नेशनल पॉलिसी ऑन बायोफ्यूल्स 2018 के संशोधन के बाद, पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य वर्ष 2030 तक रखा गया है। OMCs ने 2022 में ही 10% मिश्रण का लक्ष्य पूरा कर लिया था और अब 20% लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

गाड़ियों पर नहीं पड़ता असर

सरकार ने बताया कि NITI आयोग की समिति, ARAI, IOCL और SIAM द्वारा किए गए परीक्षणों ने पुष्टि की है कि E20 से गाड़ियों में कोई कम्पैटिबिलिटी समस्या नहीं पाई गई। पुरानी गाड़ियों में भी कोई असामान्य टूट-फूट नहीं देखी गई। केवल कुछ पुराने मॉडल में रबर पार्ट्स/गैस्केट बदलने की जरूरत पड़ सकती है, जो रूटीन सर्विसिंग में आसानी से हो जाता है।

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