शिव शंकर सविता- राजस्थान में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में बनी नई भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पारित हुए ‘राजस्थान मृत शरीर सम्मान अधिनियम’ को नियमों सहित लागू कर दिया है। इस अधिनियम के लागू होने के साथ ही राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है, जहां मृत शरीर के सम्मान और गरिमा को सुरक्षित रखने के लिए अलग से कानून लागू किया गया है। सरकार का कहना है कि यह कानून सामाजिक व्यवस्था, संवेदनशीलता और मृतक के अधिकारों की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक था राज्य में अक्सर देखने को मिलता था कि किसी मृत्यु के बाद परिजन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शव को सड़क पर रखकर धरना-प्रदर्शन करते थे। कई मामलों में 10–20 दिन तक शव का अंतिम संस्कार भी नहीं होता था। इन घटनाओं को रोकने के लिए यह कानून बनाया गया है।
अस्पतालों को भी नहीं रोक सकेंगे शव — बकाया बिल पर भी कार्रवाई
नए नियमों के अनुसार, यदि सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन किया जाता है तो कार्यपालक मजिस्ट्रेट परिजनों को नोटिस जारी करेंगे, और नोटिस मिलने के 24 घंटे के भीतर शव का अंतिम संस्कार करना अनिवार्य होगा। निर्धारित अवधि में अंतिम संस्कार न करने पर परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा और प्रशासन स्वयं शव का अंतिम संस्कार करेगा। अधिनियम के तहत अस्पताल प्रशासन अब बिल के भुगतान के नाम पर शव रोक नहीं सकेगा। यदि कोई अस्पताल ऐसा करता है तो उसके खिलाफ सीधे कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कदम उन परिवारों के लिए राहत लेकर आया है जो आर्थिक समस्या के कारण शव लेकर जाने में बाधा का सामना करते थे।
कानून में कड़ी सजा और जुर्माने के प्रावधान
कानून के तहत उल्लंघनों के लिए अलग-अलग कठोर सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि परिजन मृत शरीर को कब्जे में लेने से इनकार करते हैं, तो उन्हें एक साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। शव के साथ धरना या प्रदर्शन करने पर दो साल तक की जेल और जुर्माना लगाया जाएगा। परिजनों के अलावा कोई अन्य व्यक्ति यदि किसी शव के साथ प्रदर्शन करता है, तो उसे छह महीने से लेकर पाँच साल तक की सजा का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा लावारिस शवों का जेनेटिक डेटा एफएसएल में सुरक्षित रखा जाएगा, और यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी इस डेटा को लीक करता हुआ पाया गया, तो उसके खिलाफ तीन से दस साल तक की सजा का कठोर प्रावधान है।