डिजिटल डेस्क- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है और ग्लोबल ग्रोथ इंजन के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि देश को आज ‘ग्लोबल पावर हाउस’ कहा जा रहा है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने ‘हिंदू रेट ऑफ़ ग्रोथ’ जैसे शब्दों की आलोचना की और इसे गुलामी की मानसिकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि 1950 से 1980 के बीच भारत की कम ग्रोथ रेट को इस शब्द से जोड़ना एक ऐसी सोच थी जिसका उद्देश्य पूरे भारतीय समाज को अनप्रोडक्टिव दिखाना था। “यह शब्द गुलामी की सोच का हिस्सा था, जिसने हमारी क्षमताओं को कम करके दिखाया,” प्रधानमंत्री ने कहा।
गुलामी ने भारत के आत्मविश्वास को चोट पहुंचाई- पीएम मोदी
मोदी ने कहा कि लंबे समय तक चली गुलामी ने भारत के आत्मविश्वास को चोट पहुंचाई और शासन प्रणाली को भी प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों को पता था कि अगर उन्हें भारत पर शासन करना है तो सबसे पहले भारतीयों के आत्मविश्वास को तोड़ना होगा और उनमें हीन भावना पैदा करनी होगी। “अंग्रेजों ने आत्मविश्वास छीनने का काम योजनाबद्ध तरीके से किया। अब समय है कि हम इस मानसिकता से पूरी तरह मुक्त हों,” उन्होंने कहा। PM मोदी ने कहा कि आने वाले 10 वर्षों में देश को मैकाले की मानसिकता और उसके प्रभावों को पूरी तरह समाप्त करना होगा। उन्होंने 140 करोड़ देशवासियों से अपील करते हुए कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता बेहद आवश्यक है।
बेहतर भविष्य के लिए हमें अपनी लकीर खुद बड़ी करनी होगी- पीएम मोदी
विपक्ष पर हमला बोलते हुए PM मोदी ने कहा कि कई विपक्षी पार्टियां और कुछ बुद्धिजीवी हर चीज़ में साम्प्रदायिकता खोजने की कोशिश करते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या उन्हें ‘हिंदू रेट ऑफ़ ग्रोथ’ जैसे शब्दों में कम्युनलिज़्म दिखाई नहीं देता, जबकि बाद में इसी शब्द को किताबों और शोध पत्रों में स्वीकृति मिलती रही। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत लीग पकड़कर चलने वाला देश नहीं है और बेहतर भविष्य के लिए हमें अपनी लकीर खुद बड़ी करनी होगी। उन्होंने कहा कि अगर मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना जैसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो जाते तो आज भारत कहीं अधिक आगे होता।