KNEWS DESK – बॉलीवुड सुपरस्टार संजय दत्त अपनी दमदार फिल्मों, संजीदा किरदारों और विवादों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। लेकिन उनकी जिंदगी का सबसे अंधेरा दौर था—ड्रग्स की लत। यह वह समय था जिसने न सिर्फ उनके करियर बल्कि उनकी पूरी ज़िंदगी को हिलाकर रख दिया। कई मौकों पर संजय दत्त इस बात का खुलासा कर चुके हैं कि किस तरह ड्रग्स ने उनकी दुनिया को तहस-नहस कर दिया था।
अब एक पॉडकास्ट में संजय ने अपनी जिंदगी के उन सबसे बुरे दिनों के बारे में फिर से बात की, जब उन्हें एहसास हुआ कि अगर अब नहीं बदले, तो शायद जिंदगी भी नहीं बचेगी।
‘एक दिन आईने ने मुझे डरा दिया…’ – संजय दत्त
संजय दत्त बताते हैं कि उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट किसी डॉक्टर, दोस्त या सलाह से नहीं आया… बल्कि आईने ने उन्हें बचाया। उन्होंने कहा, “एक सुबह उठा, बाथरूम गया और खुद को देखा… तो मैं डर गया। मैं देख सकता था कि मैं मर रहा हूं। मेरा चेहरा किसी और जैसा लग रहा था।”
इस एक पल ने उन्हें झकझोर दिया। उन्हें समझ आ गया कि ड्रग्स अब सिर्फ आदत नहीं, बल्कि मौत बनकर उनके सामने खड़ी है।
पिता सुनील दत्त बने संजय की ढाल
अपने टूटे हुए मन और बिगड़ती हालत के साथ संजय दत्त सीधे अपने पिता सुनील दत्त के पास पहुंचे। उन्होंने बताया, “मैं पापा के पास गया और उनसे मदद मांगी। वो मेरे साथ खड़े रहे और उन्होंने मुझे अमेरिका के एक रिहैब सेंटर भेजा। मैं वहां पूरे दो साल रहा।” यह फैसला संजय के जीवन को वास्तविक अर्थों में बचा ले गया।
रिहैब ने दिखाई जिंदगी की असली खूबसूरती
अमेरिका के रिहैब सेंटर में दो साल बिताने के दौरान संजय दत्त ने पहली बार जिंदगी को वैसे महसूस किया जैसा शायद कभी किया ही नहीं था।
उन्होंने याद किया:
- झीलों के किनारे जाना
- काउंसलरों के साथ लंबी बातचीत करना
- हाईवे पर मैराथन दौड़ना
- बारबेक्यू करना
- बाइक राइड पर निकल जाना
उन्होंने कहा, “मैं सोच रहा था, ये क्या बकवास है… मैं इतने साल क्यों बर्बाद कर रहा था? जिंदगी तो ये है। जो मैं जी रहा था, वह जिंदगी नहीं थी। उसी पल मैंने तय कर लिया कि अब बस यही जिंदगी चाहिए।”
रिहैब ने न सिर्फ संजय को नशे से दूर किया, बल्कि उन्हें जीवन का असली मूल्य भी समझाया। वे कहते हैं कि असली आज़ादी, असली खुशी और असली जिंदगी उन्हें वहीं समझ आई।