डिजिटल डेस्क- भोजपुरी लोक गायिका और सोशल मीडिया पर अपने बेबाक अंदाज़ के लिए चर्चित नेहा सिंह राठौर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किए गए एक विवादित पोस्ट के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से बड़ी राहत नहीं मिल सकी। न्यायमूर्ति बृज राज सिंह की एकल पीठ ने शुक्रवार को उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं और पुलिस को मामले की निष्पक्ष जाँच करने का पूरा अधिकार है। अदालत के अनुसार, नेहा का पोस्ट उस समय किया गया था जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था। कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह अत्यंत संवेदनशील समय था और ऐसे माहौल में दिया गया बयान गंभीर प्रभाव डाल सकता है। इसी साल अप्रैल में लखनऊ के हजरतगंज थाने में नेहा के खिलाफ यह एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद से मामला लगातार चर्चा में है।
क्या था विवादित पोस्ट?
नेहा सिंह राठौर पर आरोप है कि उन्होंने एक्स (Twitter) पर प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाते हुए लिखा था कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद पीएम बिहार इसलिए आए ताकि पाकिस्तान को धमकाकर राष्ट्रवाद के नाम पर वोट हासिल कर सकें। उन्होंने आगे लिखा कि बीजेपी आतंकियों को खोजने और अपनी गलतियों को स्वीकार करने के बजाय देश को युद्ध की ओर धकेल रही है। इन टिप्पणियों को न केवल प्रधानमंत्री का अपमान माना गया, बल्कि कानून-व्यवस्था को प्रभावित करने और समाज में नफरत फैलाने वाला भी बताया गया।
सितंबर में भी खारिज हुई थी याचिका
इससे पहले सितंबर में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने नेहा की वह याचिका भी खारिज कर दी थी जिसमें उन्होंने पूरे एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी। कोर्ट ने तब कहा था कि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और नेहा को जांच में सक्रिय सहयोग करना होगा। सरकारी पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता डॉ. वी.के. सिंह ने दलील दी कि बार-बार नोटिस जारी किए जाने के बावजूद नेहा जांच में शामिल नहीं हो रही हैं। ऐसे में अग्रिम जमानत देना उचित नहीं होगा क्योंकि इससे जांच प्रभावित हो सकती है। कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए जमानत अर्जी ठुकरा दी।