‘जब तक कलाकार जिंदा है, उसे परेशान किया जाता है’… इमोशनल होकर बोले दिलजीत दोसांझ

KNEWS DESK – साल 2024 में रिलीज हुई दिलजीत दोसांझ की चर्चित फिल्म ‘अमर सिंह चमकीला’ ने रिलीज के बाद खूब तारीफें बटोरीं, लेकिन इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर इसे वो सम्मान नहीं मिल सका जिसकी उम्मीद थी। फिल्म ‘बेस्ट टीवी मिनी सीरीज’ और दिलजीत ‘बेस्ट एक्टर’ की कैटिगरी में 53वें इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स 2025 में नॉमिनेट हुए, लेकिन दोनों ही कैटिगरी में खाली हाथ लौटना पड़ा। अब दिलजीत ने नेटफ्लिक्स के साथ एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होंने न सिर्फ फिल्म पर बात की, बल्कि एक कलाकार की असल जिंदगी के संघर्षों को भी बेहद भावुक अंदाज़ में बयां किया।

“जब तक कलाकार जिंदा है, उसे परेशान किया जाता है” – दिलजीत दोसांझ

वीडियो में दिलजीत कहते हैं कि एक कलाकार की जिंदगी संघर्षों से भरी होती है। लोग उसकी कद्र तभी करते हैं जब वह इस दुनिया में नहीं रहता। उन्होंने कहा, “जब तक कोई कलाकार जिंदा होता है, उसे कोई नहीं पूछता। उसे रोकने की कोशिश की जाती है, धमकियां दी जाती हैं, परेशान किया जाता है। लेकिन जैसे ही वो मर जाता है, लोग कहते हैं — वाह! क्या कलाकार था।”

दिलजीत के मुताबिक, लोग मरे हुए कलाकार को इसलिए सम्मान देते हैं क्योंकि वह अब प्रतिस्पर्धा में नहीं है, वह अब जवाब नहीं दे सकता, और इंसानी स्वभाव है कि हम मौत के बाद सम्मान देते हैं।

    “मेरे लिए यह फिल्म सिर्फ वेलिडेशन नहीं, ज़िम्मेदारी थी”

    दिलजीत ने बताया कि ‘चमकीला’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि उनके लिए एक भावुक सफ़र था। उन्होंने कहा कि एक शॉट फिल्म में ऐसा भी था जिसे उन्होंने खुद इसलिए किया, क्योंकि कोई दूसरा कलाकार उस पल की भावनाओं को उतनी गहराई से महसूस नहीं कर सकता था। “उस सीन को करते समय लगा जैसे चमकीला मुझे देख रहा हो। वह पल मेरे लिए बहुत भारी था,” दिलजीत ने बताया।

    अमर सिंह चमकीला

    फिल्म पंजाबी संगीत के महान कलाकार अमर सिंह चमकीला की जिंदगी पर आधारित है। चमकीला को उनके अनोखे संगीत और बेबाक गीतों की वजह से ‘पंजाब का पहला रॉकस्टार’ कहा जाता था। लेकिन समाज के कुछ वर्गों को उनकी लोकप्रियता और उनके गीतों की सच्चाई रास नहीं आई।

    साल 1988 में अमर सिंह चमकीला और उनकी पत्नी अमरजोत की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उनकी मौत आज तक एक रहस्य और बहस का विषय बनी हुई है।

    भले ही फिल्म को इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स में पहचान नहीं मिली, लेकिन दिलजीत का कहना है कि उनके लिए सबसे बड़ी जीत यह है कि वे चमकीला की कहानी को दुनिया तक पहुंचा पाए। उन्होंने कहा, “हम यहां अवॉर्ड्स लेने नहीं आए थे, हम चमकीला को ले कर आए थे।”

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