डिजिटल डेस्क- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शुक्रवार को हैदराबाद हाउस में हुई उच्चस्तरीय बैठक ने भारत–रूस संबंधों को नई दिशा देने का काम किया है। 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन के बाद दोनों नेताओं ने संयुक्त प्रेस वार्ता की, जिसमें पुतिन ने कहा कि गुरुवार रात प्रधानमंत्री मोदी के साथ डिनर के दौरान हुई चर्चा “रणनीतिक साझेदारी को नई मजबूती देने वाली” थी। पुतिन ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच करीबी और भरोसेमंद कार्य-समन्वय है, जो वैश्विक चुनौतियों के समय और अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। राष्ट्रपति पुतिन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री मोदी और भारत के लोगों को रूसी प्रतिनिधिमंडल का “गर्मजोशी से स्वागत” करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि दोनों नेता पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मिल चुके हैं और रूस-भारत डायलॉग को व्यक्तिगत रूप से आगे बढ़ा रहे हैं।
भारत को ईंधन की निर्बाध आपूर्ति जारी रहेगी
पुतिन ने स्पष्ट किया कि रूस भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में निरंतर सहयोग करता रहेगा। उन्होंने कहा कि तेल, गैस, कोयला और ऊर्जा से जुड़ी हर जरूरत को स्थिर रूप से पूरा किया जाएगा। पुतिन ने बताया कि दोनों देशों के बीच 96% लेनदेन अब राष्ट्रीय मुद्राओं में होने लगा है, जिससे भविष्य में व्यापार और सरल होगा। दोनों देशों ने वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। रूसी राष्ट्रपति ने बताया कि भारत-रूस व्यापार पिछले वर्ष 12% बढ़ा और यह लगभग 64 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह गति 2025 में भी बनी रहेगी। रूस भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है, जहां भारत के कुल आयात का 76% हिस्सा कच्चे तेल का है और कोयले व अन्य तेल उत्पादों को मिलाकर यह संख्या 85% तक पहुंचती है। दूसरी ओर, भारत रूस को दवाइयां, केमिकल्स, कपड़ा, चाय-कॉफी, चावल और मसाले निर्यात करता है।
परमाणु क्षेत्र में ऐतिहासिक सहयोग
पुतिन ने बताया कि कुडनकुलम में भारत के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण दोनों देशों की साझेदारी का “फ्लैगशिप प्रोजेक्ट” है। छह रिएक्टरों में से दो पहले ही ग्रिड से जुड़ चुके हैं जबकि चार निर्माणाधीन हैं। पूरी क्षमता से चलने पर यह संयंत्र भारत की ऊर्जा जरूरतों में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। साथ ही दोनों देश छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर, फ्लोटिंग न्यूक्लियर प्लांट और कृषि व चिकित्सा क्षेत्रों में परमाणु तकनीक के उपयोग पर सहयोग बढ़ा रहे हैं।पुतिन ने कहा कि रूस पिछले 50 वर्षों से भारतीय सेना को आधुनिक बनाने में अहम भूमिका निभाता आया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि यह सहयोग आगे भी जारी रहेगा फिर चाहे वह रक्षा बलों के लिए उपकरण हों, विमानन क्षेत्र का विकास हो या नौसेना की क्षमता बढ़ाने के प्रोजेक्ट।
नई अंतरराष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट रूट की ओर कदम
पुतिन ने कहा कि भारत और रूस मिलकर नए वैश्विक ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर विकसित कर रहे हैं, जिसमें नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर प्रमुख है। इसके जरिए रूस और बेलारूस से माल सीधे हिंद महासागर तक आसानी से पहुंच सकेगा, जिससे व्यापार और तेज व किफायती होगा।