डिजिटल डेस्क- रामपुर में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आज़म ख़ान के बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म को पासपोर्ट से जुड़े गंभीर मामले में बड़ा कानूनी आघात लगा है। शुक्रवार को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सुनवाई करते हुए अब्दुल्ला को 7 साल की कैद और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। यह फैसला उस मामले में आया है जिसमें उन पर दो अलग-अलग जन्मतिथियों के आधार पर दो पासपोर्ट बनवाने का आरोप लगा था। भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने सिविल लाइंस कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला आज़म ने कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल कर दो पासपोर्ट बनवाए। जांच में पुलिस ने पाया कि पहले पासपोर्ट में उनकी जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 दर्ज है, जबकि दूसरे पासपोर्ट (संख्या Z 4307442) में जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 लिखी हुई है।
दूसरा पासपोर्ट 10 जनवरी 2018 को जारी किया गया था, जिसे गलत जानकारी सामने आने पर जब्त कर लिया गया। इसके बाद पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया और मामला एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में पहुंचा।
तीसरा बड़ा मामला जिसमें मिली सज़ा
यह पहला मौका नहीं है जब अब्दुल्ला आज़म को अदालत से सज़ा मिली है। इससे पहले भी उन्हें जन्म प्रमाणपत्र मामले और दो पैन कार्ड मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई जा चुकी है। पासपोर्ट का यह केस लंबे समय से सुर्खियों में था और शुक्रवार को इसका निर्णायक फैसला आ गया। इस केस में गवाहों के बयान और अभियोजन पक्ष की बहस पिछले सप्ताह पूरी हो चुकी थी। बचाव पक्ष को कोर्ट ने एक दिसंबर तक का समय दिया था। शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अब्दुल्ला आज़म को जेल से ही अदालत में पेश किया गया। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने उन्हें दोषी मानते हुए कठोर सजा सुनाई।
राजनीतिक हलकों में हलचल
अब्दुल्ला आज़म पहले से ही कई मामलों में फंसे हुए हैं, और लगातार तीसरी बार सजा मिलने से राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज़ हो गई है। यह फैसला आज़म ख़ान परिवार के लिए एक और बड़ा झटका माना जा रहा है।
भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि “कानून सबके लिए बराबर है, चाहे वह कितना भी बड़ा नेता हो या उसका परिवार।”