डिजिटल डेस्क- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने आम जनता को बड़ी राहत देते हुए रेपो रेट में 0.25% की कटौती का ऐलान किया है। नई दरें लागू होते ही होम लोन, कार लोन और अन्य रिटेल लोन की EMI में कमी आने की उम्मीद है। इससे उपभोक्ताओं की क्रय क्षमता बढ़ेगी और घरेलू मांग में सुधार हो सकता है। बैंकिंग सेक्टर के विशेषज्ञों का कहना है कि ब्याज दरों में कटौती से बाजार में नकदी प्रवाह बढ़ेगा, जिससे उपभोक्ता खर्च और निवेश दोनों में तेजी आने की संभावना है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह घोषणा की। उन्होंने बताया कि रेपो रेट अब 5.25% पर आ गया है। फरवरी 2025 से अब तक RBI तीन चरणों में कुल 1% रेपो रेट घटा चुका है। पिछले दो नीतिगत समीक्षाओं में रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखा गया था, लेकिन अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर के दशकों के निचले स्तर 0.25% और थोक महंगाई में 1.21% गिरावट के बाद राहत देने का रास्ता साफ हो गया।
2026 के दौरान खुदरा महंगाई 2% रहने का अनुमान जताया
RBI ने वित्त वर्ष 2026 के दौरान खुदरा महंगाई 2% रहने का अनुमान जताया है, जो उसके पहले के 2.6% अनुमान से कम है। विभिन्न तिमाहियों का पूर्वानुमान भी कम किया गया है। अक्टूबर-दिसंबर 2025 के लिए 0.6%, जनवरी-मार्च 2026 के लिए 2.9% और अप्रैल-जून 2026 के लिए 3.9%। जुलाई-सितंबर 2026 के दौरान महंगाई 4% रहने की उम्मीद है। आर्थिक मोर्चे पर अच्छी खबर देते हुए RBI ने GDP ग्रोथ का अनुमान 6.8% से बढ़ाकर 7.3% कर दिया है। अक्टूबर-दिसंबर 2025 में इसे 7% और जनवरी-मार्च 2026 में 6.5% रहने का अनुमान है। आगामी वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों के लिए यह 6.7% और 6.8% होने की संभावना जताई गई है।
बाजार में बढ़ाई जाएगी तरलता
तरलता (Liquidity) से जुड़े मोर्चे पर RBI ने ₹1 लाख करोड़ की ओपन मार्केट ट्रांजैक्शंस (OMO) के जरिए बाजार में नकदी डालने का फैसला किया है। इसके अलावा दिसंबर में $500 करोड़ के तीन-वर्षीय डॉलर/रुपया स्वैप के माध्यम से भी लिक्विडिटी बढ़ाई जाएगी।